जवाहर बाग में हुई हिंसा के दौरान का फाइल फोटो...
मथुरा:
उत्तर प्रदेश के मथुरा जनपद में दो जून को हुई हिंसा की जांच करने आए एकल सदस्यीय आयोग ने स्थानीय पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों को आदेश दिया है कि वह आगामी 21 जुलाई तक जवाहर बाग बवाल से संबंधित सभी साक्ष्य प्रस्तुत करें।
न्यायिक जांच आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति इम्तियाज मुर्तजा ने पत्रकारों को बताया कि आयोग 21 जुलाई तक सभी सरकारी व गैर सरकारी व्यक्तियों से घटना से संबंधित साक्ष्य एकत्र करेगा। तत्पश्चात साक्ष्यों की पद्धति के अनुसार उन्हें वर्गीकृत कर परीक्षण कार्य प्रारंभ करेगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि दो वर्ष पूर्व जवाहर बाग में दो दिन के सत्याग्रह की अनुमति लेकर जब से रामवृक्ष यादव तथा उसके साथी जमे हुए थे, तभी से लेकर दो जून तक उन सभी के खिलाफ जितने भी मुकदमे दर्ज हुए हैं, उन सभी के पूरे दस्तावेज उन्हें सौंपे जाएं।
न्यायमूर्ति ने बताया कि घटना से जुड़े साक्ष्य जमा हो जाने के बाद वे उनका परीक्षण करेंगे तथा आवश्यकता पड़ने पर सभी अपेक्षित अधिकारियों तथा अन्य व्यक्तियों को आवश्यकतानुसार तलब करेंगे। उन्होंने बताया कि दो-ढाई वर्ष के कार्यकाल में जो भी अधिकारी मथुरा में रहेंगे, उन सभी को तलब किया जाएगा और उनसे उनका पक्ष जाना जाएगा।
जांच आयोग अध्यक्ष रविवार की शाम तक मथुरा के लोकनिर्माण विभाग के निरीक्षण भवन में बनाए गए स्थित अस्थायी कार्यालय में उपस्थित रहकर उनके समक्ष प्रतिवेदन देने के इच्छुक व्यक्तियों से मिलने के लिए उपलब्ध रहेंगे।
भारतीय जनता पार्टी का एक प्रतिनिधिमण्डल भी जांच आयोग से मिला और घटना को सैकड़ों करोड़ की सरकारी संपत्ति पर अवैध कब्जा जमाने का एक सुनियोजित षडयंत्र एवं राजनैतिक संरक्षण बताते हुए सभी बिंदुओं पर विचार कर जांच करने की मांग की। जिलाध्यक्ष एवं पूर्व सांसद तेजवीर सिंह के नेत्रृत्व में आयोग अध्यक्ष न्यायमूर्ति इम्तियाज मुर्तजा से मिलने वालों में प्रदेश के पूर्व कृषि मंत्री लक्ष्मीनारायण, पूर्व राज्यमंत्री रविकांत गर्ग, पूर्व विधायक अजय कुमार पोईया एवं प्रणत पाल सिंह आदि शामिल थे।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
न्यायिक जांच आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति इम्तियाज मुर्तजा ने पत्रकारों को बताया कि आयोग 21 जुलाई तक सभी सरकारी व गैर सरकारी व्यक्तियों से घटना से संबंधित साक्ष्य एकत्र करेगा। तत्पश्चात साक्ष्यों की पद्धति के अनुसार उन्हें वर्गीकृत कर परीक्षण कार्य प्रारंभ करेगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि दो वर्ष पूर्व जवाहर बाग में दो दिन के सत्याग्रह की अनुमति लेकर जब से रामवृक्ष यादव तथा उसके साथी जमे हुए थे, तभी से लेकर दो जून तक उन सभी के खिलाफ जितने भी मुकदमे दर्ज हुए हैं, उन सभी के पूरे दस्तावेज उन्हें सौंपे जाएं।
न्यायमूर्ति ने बताया कि घटना से जुड़े साक्ष्य जमा हो जाने के बाद वे उनका परीक्षण करेंगे तथा आवश्यकता पड़ने पर सभी अपेक्षित अधिकारियों तथा अन्य व्यक्तियों को आवश्यकतानुसार तलब करेंगे। उन्होंने बताया कि दो-ढाई वर्ष के कार्यकाल में जो भी अधिकारी मथुरा में रहेंगे, उन सभी को तलब किया जाएगा और उनसे उनका पक्ष जाना जाएगा।
जांच आयोग अध्यक्ष रविवार की शाम तक मथुरा के लोकनिर्माण विभाग के निरीक्षण भवन में बनाए गए स्थित अस्थायी कार्यालय में उपस्थित रहकर उनके समक्ष प्रतिवेदन देने के इच्छुक व्यक्तियों से मिलने के लिए उपलब्ध रहेंगे।
भारतीय जनता पार्टी का एक प्रतिनिधिमण्डल भी जांच आयोग से मिला और घटना को सैकड़ों करोड़ की सरकारी संपत्ति पर अवैध कब्जा जमाने का एक सुनियोजित षडयंत्र एवं राजनैतिक संरक्षण बताते हुए सभी बिंदुओं पर विचार कर जांच करने की मांग की। जिलाध्यक्ष एवं पूर्व सांसद तेजवीर सिंह के नेत्रृत्व में आयोग अध्यक्ष न्यायमूर्ति इम्तियाज मुर्तजा से मिलने वालों में प्रदेश के पूर्व कृषि मंत्री लक्ष्मीनारायण, पूर्व राज्यमंत्री रविकांत गर्ग, पूर्व विधायक अजय कुमार पोईया एवं प्रणत पाल सिंह आदि शामिल थे।
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