मुंबई:
मुंबई में मराठा क्रांति मूक मोर्चा की मोटरसाइकिल रैली में महिलाएं सबसे आगे थीं. बाइक रैली सोमैया मैदान से छत्रपति शिवाजी टर्मिनस तक निकली. प्रदर्शनकारियों की मांग है कि कोपर्डी बलात्कार के आरोपियों को फांसी की सजा दी जाए और मराठा समाज को आरक्षण दिया जाए. अपनी इन मांगों को लेकर मराठा समाज बीते कई महीनों से प्रदर्शन कर रहा है.
मुंबई में मराठा समाज पैदल नहीं मोटरसाइकिल पर सवार होकर चेंबूर से छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पहुंचा. हज़ारों की तादाद में महिलाएं थीं. बाइक पर केसरिया के साथ भगवा झंडा भी. आयोजकों का दावा है कि रैली में 50,000 बाइक सवार शामिल थे.
कोपर्डी में एक नाबालिग मराठा लड़की की बलात्कार के बाद जघन्य हत्या के दोषियों को फांसी की सजा की मांग से पूरा समाज एकजुट होता नजर आया. कोपर्डी के अलावा मराठा, अपने समाज के लिए आरक्षण, एट्रॉसिटी कानून की कथित खामियां दूर करने के साथ किसानों के हित में स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू करने की बात भी मांग रहे हैं.
रैली में शामिल संजय पाटिल ने कहा, मराठा पहले शासक वर्ग था, वह लड़ने जाता था, लेकिन अब वह काम नहीं है. हमारी हालत बहुत ख़राब है इसलिए हमें आरक्षण मिलना चाहिए.
मुंबई पुलिस के प्रवक्ता डीसीपी अशोक दुधे का कहना था कि रैली शांतिपूर्वक रही. सारे नियम कायदे और कानूनों का पालन हुआ. हालांकि रैली की वजह से रविवार होने के बावजूद पूर्वी उपनगर में कई घंटों तक लंबा जाम लग गया.
महाराष्ट्र में लगभग 33 फीसदी मराठा हैं. राज्य में शासक वर्ग ज्यादातर मराठा ही रहा है, लेकिन बड़ा तबका गरीबी-अशिक्षा और बेरोज़गारी से भी जूझ रहा है. प्रदर्शनकारी अब मुख्यमंत्री के घर नागपुर में विधानसभा के शीतकालीन सत्र से पहले महामोर्चे की रणनीति पर काम कर रहे हैं.
मुंबई में मराठा समाज पैदल नहीं मोटरसाइकिल पर सवार होकर चेंबूर से छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पहुंचा. हज़ारों की तादाद में महिलाएं थीं. बाइक पर केसरिया के साथ भगवा झंडा भी. आयोजकों का दावा है कि रैली में 50,000 बाइक सवार शामिल थे.
कोपर्डी में एक नाबालिग मराठा लड़की की बलात्कार के बाद जघन्य हत्या के दोषियों को फांसी की सजा की मांग से पूरा समाज एकजुट होता नजर आया. कोपर्डी के अलावा मराठा, अपने समाज के लिए आरक्षण, एट्रॉसिटी कानून की कथित खामियां दूर करने के साथ किसानों के हित में स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू करने की बात भी मांग रहे हैं.
रैली में शामिल संजय पाटिल ने कहा, मराठा पहले शासक वर्ग था, वह लड़ने जाता था, लेकिन अब वह काम नहीं है. हमारी हालत बहुत ख़राब है इसलिए हमें आरक्षण मिलना चाहिए.
मुंबई पुलिस के प्रवक्ता डीसीपी अशोक दुधे का कहना था कि रैली शांतिपूर्वक रही. सारे नियम कायदे और कानूनों का पालन हुआ. हालांकि रैली की वजह से रविवार होने के बावजूद पूर्वी उपनगर में कई घंटों तक लंबा जाम लग गया.
महाराष्ट्र में लगभग 33 फीसदी मराठा हैं. राज्य में शासक वर्ग ज्यादातर मराठा ही रहा है, लेकिन बड़ा तबका गरीबी-अशिक्षा और बेरोज़गारी से भी जूझ रहा है. प्रदर्शनकारी अब मुख्यमंत्री के घर नागपुर में विधानसभा के शीतकालीन सत्र से पहले महामोर्चे की रणनीति पर काम कर रहे हैं.
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