भुवनेश्वर:
ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर के सम अस्पताल में सोमवार शाम आग लग गई. आग में 19 मरीजों की मौत हो गई है जबकि 120 से ज्यादा लोग घायल हो गए हैं, जिसमें से कुछ की हालत गंभीर है. ये ओडिशा में किसी अस्पताल में हुई सबसे भयावह घटनाओं में से एक है.
जानकारी के मुताबिक, आग पहली मंजिल पर बने डायलिसिस वॉर्ड में शॉर्ट सर्किट की वजह से लगी, जो आईसीयू तक तेजी से फैल गई, जिसमें कई मरीजों की मौत हो गई और कई घायल हो गए. इसके बाद अस्पताल को खाली कराया जाने लगा. यहां भर्ती 10 मरीजों को भुवनेश्वर के एम्स में भर्ती कराया है.
48 मरीज़ों को AMRI अस्पताल, एक को अपोलो और छह को कटक के SCB Medical College में भर्ती कराया गया है. सूबे के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने घटना के बाद अस्पताल का दौरा किया. साथ ही उन्होंने घायलों के बेहतर और मुफ़्त इलाज के आदेश दिए. साथ ही उन्होंने इस हादसे की उच्चस्तरीय जांच के आदेश भी दे दिए हैं. अधिकारियों के मुताबिक, फायरब्रिगेड के कर्मचारियों, स्वयंसेवकों और अस्पताल के कर्मचारियों के साथ मिलकर बड़े पैमाने पर बचाव अभियान चलाया.
इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 'गहरा दुख' व्यक्त करते हुए इसे 'दिमाग झकझोर देने वाली' घटना करार दिया. पीएम मोदी ने ट्वीट किया, 'ओडिशा के अस्पताल में लगी आग में लोगों की जान जाने से काफी दुखी हूं. यह त्रासदी दिमाग को झकझोर देने वाली है. मेरी संवेदनाएं शोकाकुल परिवारों के साथ हैं.'
उन्होंने कहा, 'स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा से बात की है और उन्हें घायलों को एम्स में भर्ती कराने की व्यवस्था करने को कहा है. उम्मीद है कि घायल लोग जल्द स्वस्थ होंगे.'
पीएम मोदी ने एक अन्य ट्वीट में कहा, 'मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से भी बात की है और उनसे घायलों एवं प्रभावितों के लिए हरसंभव मदद सुनिश्चित करने को कहा है.' इस बीच, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा ने ट्वीट कर कहा कि केंद्र इस मामले में ओडिशा को हर जरूरी मदद दे रहा है. नड्डा ने कहा कि वह पहले ही भुवनेश्वर स्थित एम्स के अधिकारियों से बात कर चुके हैं और उनसे मरीजों को हर जरूरी मदद करने को कहा है.
घटना के बाद किए गए ट्वीट में नड्डा ने कहा, 'मैंने एम्स, भुवनेश्वर के निदेशक से बात की है ताकि मरीजों को बेहतरीन तरीके से हर जरूरी समर्थन और मदद मुहैया कराई जाए.' उन्होंने कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव सी.के. मिश्रा ओडिशा के स्वास्थ्य अधिकारियों से पहले ही बातचीत कर चुके हैं और वह उनसे 'लगातार संपर्क में' हैं.
उल्लेखनीय है कि आग पर काबू पाने के लिए कम से कम सात अग्निशमन वाहनों को लगाया गया और नाजुक हालत वाले मरीजों को अन्य अस्पतालों में भेजने के लिए एक दर्जन से ज्यादा एंबुलेंस लगाए गए. एक चश्मदीद ने कहा कि कई मरीजों को खिड़कियों के शीशे तोड़कर निकाला गया.
इस बीच, ओडिशा सरकार ने घटना की उच्च-स्तरीय जांच के आदेश दे दिए हैं. मेडिकल शिक्षा एवं प्रशिक्षण विभाग के निदेशक मामले की जांच करेंगे. राज्य के स्वास्थ्य मंत्री अतनु एस. नायक ने कहा कि यदि अस्पताल अधिकारियों को लापरवाही का दोषी पाया गया तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
कैपिटल अस्पताल के निदेशक बी.बी. पटनायक ने कहा कि कई पीड़ित सम अस्पताल के आईसीयू में भर्ती थे और जीवन रक्षक प्रणाली पर रह रहे थे. ज्यादातर मौतें दम घुटने से हुईं. उन्होंने कहा कि नाजुक तौर पर घायल हुए दो मरीजों को कैपिटल अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया है.
डॉ. पटनायक ने बताया कि कैपिटल अस्पताल के अलावा मरीजों को पास के अमरी अस्पताल, अपोलो अस्पताल, कलिंग अस्पताल, कटक के एससीबी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल और राज्य राजधानी क्षेत्र के कुछ अन्य अस्पतालों में भर्ती कराया गया. साल 2011 में कोलकाता के एएमआरआई अस्पताल में भीषण आग लगी थी, जिसकी चपेट में आने से 89 लोग मारे गए थे, जिनमें 85 मरीज थे.
जानकारी के मुताबिक, आग पहली मंजिल पर बने डायलिसिस वॉर्ड में शॉर्ट सर्किट की वजह से लगी, जो आईसीयू तक तेजी से फैल गई, जिसमें कई मरीजों की मौत हो गई और कई घायल हो गए. इसके बाद अस्पताल को खाली कराया जाने लगा. यहां भर्ती 10 मरीजों को भुवनेश्वर के एम्स में भर्ती कराया है.
48 मरीज़ों को AMRI अस्पताल, एक को अपोलो और छह को कटक के SCB Medical College में भर्ती कराया गया है. सूबे के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने घटना के बाद अस्पताल का दौरा किया. साथ ही उन्होंने घायलों के बेहतर और मुफ़्त इलाज के आदेश दिए. साथ ही उन्होंने इस हादसे की उच्चस्तरीय जांच के आदेश भी दे दिए हैं. अधिकारियों के मुताबिक, फायरब्रिगेड के कर्मचारियों, स्वयंसेवकों और अस्पताल के कर्मचारियों के साथ मिलकर बड़े पैमाने पर बचाव अभियान चलाया.
इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 'गहरा दुख' व्यक्त करते हुए इसे 'दिमाग झकझोर देने वाली' घटना करार दिया. पीएम मोदी ने ट्वीट किया, 'ओडिशा के अस्पताल में लगी आग में लोगों की जान जाने से काफी दुखी हूं. यह त्रासदी दिमाग को झकझोर देने वाली है. मेरी संवेदनाएं शोकाकुल परिवारों के साथ हैं.'
Deeply anguished by the loss of lives in the hospital fire in Odisha. The tragedy is mind-numbing. My thoughts are with bereaved families.
— Narendra Modi (@narendramodi) October 17, 2016
उन्होंने कहा, 'स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा से बात की है और उन्हें घायलों को एम्स में भर्ती कराने की व्यवस्था करने को कहा है. उम्मीद है कि घायल लोग जल्द स्वस्थ होंगे.'
Spoke to Minister @JPNadda & asked him to facilitate transfer of all those injured to AIIMS. Hope the injured recover quickly.
— Narendra Modi (@narendramodi) October 17, 2016
पीएम मोदी ने एक अन्य ट्वीट में कहा, 'मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से भी बात की है और उनसे घायलों एवं प्रभावितों के लिए हरसंभव मदद सुनिश्चित करने को कहा है.' इस बीच, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा ने ट्वीट कर कहा कि केंद्र इस मामले में ओडिशा को हर जरूरी मदद दे रहा है. नड्डा ने कहा कि वह पहले ही भुवनेश्वर स्थित एम्स के अधिकारियों से बात कर चुके हैं और उनसे मरीजों को हर जरूरी मदद करने को कहा है.
Also spoken to Minister @dpradhanbjp and asked him to ensure all possible help to the injured and affected.
— Narendra Modi (@narendramodi) October 17, 2016
घटना के बाद किए गए ट्वीट में नड्डा ने कहा, 'मैंने एम्स, भुवनेश्वर के निदेशक से बात की है ताकि मरीजों को बेहतरीन तरीके से हर जरूरी समर्थन और मदद मुहैया कराई जाए.' उन्होंने कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव सी.के. मिश्रा ओडिशा के स्वास्थ्य अधिकारियों से पहले ही बातचीत कर चुके हैं और वह उनसे 'लगातार संपर्क में' हैं.
उल्लेखनीय है कि आग पर काबू पाने के लिए कम से कम सात अग्निशमन वाहनों को लगाया गया और नाजुक हालत वाले मरीजों को अन्य अस्पतालों में भेजने के लिए एक दर्जन से ज्यादा एंबुलेंस लगाए गए. एक चश्मदीद ने कहा कि कई मरीजों को खिड़कियों के शीशे तोड़कर निकाला गया.
इस बीच, ओडिशा सरकार ने घटना की उच्च-स्तरीय जांच के आदेश दे दिए हैं. मेडिकल शिक्षा एवं प्रशिक्षण विभाग के निदेशक मामले की जांच करेंगे. राज्य के स्वास्थ्य मंत्री अतनु एस. नायक ने कहा कि यदि अस्पताल अधिकारियों को लापरवाही का दोषी पाया गया तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
कैपिटल अस्पताल के निदेशक बी.बी. पटनायक ने कहा कि कई पीड़ित सम अस्पताल के आईसीयू में भर्ती थे और जीवन रक्षक प्रणाली पर रह रहे थे. ज्यादातर मौतें दम घुटने से हुईं. उन्होंने कहा कि नाजुक तौर पर घायल हुए दो मरीजों को कैपिटल अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया है.
डॉ. पटनायक ने बताया कि कैपिटल अस्पताल के अलावा मरीजों को पास के अमरी अस्पताल, अपोलो अस्पताल, कलिंग अस्पताल, कटक के एससीबी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल और राज्य राजधानी क्षेत्र के कुछ अन्य अस्पतालों में भर्ती कराया गया. साल 2011 में कोलकाता के एएमआरआई अस्पताल में भीषण आग लगी थी, जिसकी चपेट में आने से 89 लोग मारे गए थे, जिनमें 85 मरीज थे.
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