मणिशंकर अय्यर की फाइल तस्वीर
नई दिल्ली:
कांग्रेस सांसद मणिशंकर अय्यर ने भारत-पाकिस्तान के बीच बातचीत बहाल होने का स्वागत किया, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) स्तरीय मुलाकातें विदेश सचिवों की अगुवाई में होने वाली समग्र वार्ता प्रक्रिया का 'विकल्प' नहीं हो सकतीं।
दोनों पड़ोसियों के बीच बेहतर संबंधों की हमेशा वकालत करने वाले अय्यर ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों का 'प्रभाव संकुचित होता है' और ताजा फैसले का मतलब 'वार्ता की बहाली नहीं' है।
उन्होंने कहा, निश्चित तौर पर मैं एनएसए स्तर की मुलाकात के विचार का स्वागत करता हूं, लेकिन परिभाषा के लिहाज से उनका प्रभाव संकुचित होता है। जबकि एक विदेश सचिव का प्रभाव कहीं ज्यादा विस्तृत होता है और भारत-पाक संबंधों में ऐसे ढेर सारे मुद्दे हैं, जिनसे विदेश सचिव द्वारा समन्वित समग्र वार्ता प्रक्रिया से ही निपटा जा सकता है।
उन्होंने कहा कि ताजा कदम के जरिये बीजेपी सरकार ने पिछले साल के उस झटके से फोकस हटा दिया है, जिसमें वार्ता प्रक्रिया 'बेमतलब ही' अटक गई थी।
दोनों पड़ोसियों के बीच बेहतर संबंधों की हमेशा वकालत करने वाले अय्यर ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों का 'प्रभाव संकुचित होता है' और ताजा फैसले का मतलब 'वार्ता की बहाली नहीं' है।
उन्होंने कहा, निश्चित तौर पर मैं एनएसए स्तर की मुलाकात के विचार का स्वागत करता हूं, लेकिन परिभाषा के लिहाज से उनका प्रभाव संकुचित होता है। जबकि एक विदेश सचिव का प्रभाव कहीं ज्यादा विस्तृत होता है और भारत-पाक संबंधों में ऐसे ढेर सारे मुद्दे हैं, जिनसे विदेश सचिव द्वारा समन्वित समग्र वार्ता प्रक्रिया से ही निपटा जा सकता है।
उन्होंने कहा कि ताजा कदम के जरिये बीजेपी सरकार ने पिछले साल के उस झटके से फोकस हटा दिया है, जिसमें वार्ता प्रक्रिया 'बेमतलब ही' अटक गई थी।
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