प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष के प्रबंधन के तौर तरीकों में महत्वपूर्ण बदलाव हो सकता है, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाभार्थियों के चयन में गुजरात मॉडल का अनुकरण करने और गरीबों एवं बच्चों को प्राथमिकता देने का आज निर्देश दिया।
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के बयान के अनुसार, मोदी ने प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (पीएमएनआरएफ) के कामकाज की समीक्षा की और कोष के प्रबंधन के संबंध में गुणवत्ता को बेहतर बनाने के बारे में कई सुझाव दिए।
बयान के अनुसार, गुजरात मॉडल का जिक्र करते हुए उन्होंने निर्देश दिया कि लाभार्थियों का चयन समग्र रूप से, वैज्ञानिक और मानवीय तरीके से होना चाहिए और इसमें बच्चों, गरीबों तथा सरकारी अस्पतालों के मामलों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जीवन को खतरे में डालने वाली बीमारियों से जुड़े मामलों को प्राथमिकता देनी चाहिए और अर्जी पर जरूरत और उसकी अहमियत के आधार पर निर्णय किया जाना चाहिए।
मोदी ने यह भी निर्देश दिया कि मदद के लिए अपील के लंबित मामलों को कम किया जाए और मामलों के चयन के लिए इस तरह से ड्रा निकाला जाए कि वाजिब मामले नहीं छूटें। बयान के अनुसार, यह भी निर्णय किया गया कि सभी लाभार्थियों को प्रधानमंत्री की ओर से एक पत्र भेजा जाए।
प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष का गठन 1948 में किया गया था। इसका मकसद पाकिस्तान से आए विस्थापित लोगों को सार्वजनिक सहयोग से मदद प्रदान करना था।
पीएमएनआरएफ के संसाधनों का उपयोग अब बाढ़, चक्रवात, भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं और बड़ी दुर्घटनाओं में मारे गए लोगों एवं दंगों के पीड़ितों को तत्काल राहत प्रदान करने में किया जाता है। प्रधानमंत्री राहत कोष से हृदय रोग सर्जरी, किडनी प्रतिरोपण, कैंसर के उपचार आदि में मदद के लिए भी धन दिया जाता है।
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