प्रीति राठी का फाइल फोटो
मुंबई.:
बहुचर्चित प्रीति राठी तेजाब हमले के मामले में दोषी अंकुर पंवार को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है. वर्ष 2013 में अंकुर ने प्रीति पर तेजाब फेंका था जिससे एक माह बाद उसकी मौत हो गई थी.
प्रीति की मौत के बाद उनके बुजुर्ग पिता अमर राठी ने हिम्मत नहीं हारी. उनका कहना है कि फांसी की सजा दूसरों के लिए सबक होगी. यह पूछने पर कि अदालत ने अपील के लिए दोषी को 30 दिन का वक्त दिया है, अमर राठी ने कहा कि वे अपनी बेटी के कातिल अंकुर को फांसी दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे.
अदालत ने जब दोषी अंकुर को फांसी की सजा सुनाई तब पीड़ित परिवार की तरफ से प्रीति के पिता, भाई और बुआ भी वहां मौजूद थीं. फैसला सुनाने के बाद जज साहिबा उठकर चली गईं. इसी बीच दोषी अंकुर मुस्कराया. इस पर प्रीति की बुआ ने आपत्ति की. बताया जाता है कि अंकुर के साथ धक्कामुक्की भी हुई. इस पर उसने बाहर निकलने के बाद देख लेने की धमकी दी. हालांकि प्रीति के पिता ने इसे मामूली कहासुनी बताया.
गौरतलब है कि मुंबई में भारतीय नौसेना में नर्स बनने के लिए पहुंची प्रीति राठी के चेहरे पर बांद्रा टर्मिनस पर तेजाब फेंकने के मामले में उनके पड़ोसी अंकुर पंवार को कोर्ट ने दोषी करार दिया था. दिल्ली की निवासी 24 साल की प्रीति अपने पिता के साथ मुंबई पहुंची थी ताकि नेवी अस्पताल में नर्स के रूप में नौकरी शुरू कर सके. बांद्रा स्टेशन पर ही उसके कंधे पर किसी ने पीछे से छुआ था और जैसे ही वह पलटी, पीछे खड़े शख्स ने उसके चेहरे पर तेज़ाब फेंका और भाग गया. इस मामले में अंकुर को वारदात के करीब एक साल बाद गिरफ्तार किया गया था. अंकुर का परिवार दिल्ली में प्रीति के पड़ोस में रहता है.
अंकुर पंवार.
पुलिस का कहना है कि अंकुर उसकी कामयाबी से जलता था और इस बात से दुखी था कि उसके परिवार वाले उसे बेरोजगार होने के ताने देते वक्त प्रीति की कामयाबी के बारे में कहते रहते थे. इसलिए वह मुंबई आया, प्रीति पर तेज़ाब फेंका और दूसरी ट्रेन पकड़कर तुरंत ही वापस चला गया. तेज़ाब फेंके जाने के बाद प्रीति लगभग एक महीने तक गंभीर हालत में अस्पताल में रही. लेकिन बाद में उसने दम तोड़ दिया. तेज़ाब से उसका गला और फेफड़े बुरी तरह जल गए थे.
विशेष सरकारी वकील उज्ज्वल निकम के मुताबिक किसी भी तेजाब कांड में यह पहला मामला है जिसमें अदालत ने मौत की सजा सुनाई है. इसके लिए निर्भया कांड के बाद कानून में आई तब्दीली और खुद दोषी अंकुर का अपराध और रवैया भी जिम्मेदार रहा. निकम के मुताबिक आरोपी ने कभी पश्चाताप नहीं किया, गलती नहीं मानी. उसने वारदात पर खेद तक नहीं जताया.
हालांकि बचाव पक्ष का मानना कुछ और है. अंकुर की वकील अपेक्षा वोरा ने दावा किया कि अभियोजन पक्ष ने अपराध से जुड़ी कई बातें अदालत के सामने रखी ही नहीं. पीड़ित महिला थी इसलिए यह सजा मिली है. बचाव पक्ष अब फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देने की तैयारी में है.
मई 2013 में जब प्रीति राठी पर तेजाब से हमला हुआ था तब रेल पुलिस ने पवन नाम के शख्स को पकड़ा था. लेकिन फिर जांच मुंबई क्राइम ब्रांच को दे दी. क्राइम ब्रांच ने अपनी जांच के बाद अंकुर पंवार को आरोपी बनाया. बताया जाता है कि अंकुर ने एकतरफा प्यार और उपेक्षा की वजह से प्रीति की जान ले ली.
प्रीति की मौत के बाद उनके बुजुर्ग पिता अमर राठी ने हिम्मत नहीं हारी. उनका कहना है कि फांसी की सजा दूसरों के लिए सबक होगी. यह पूछने पर कि अदालत ने अपील के लिए दोषी को 30 दिन का वक्त दिया है, अमर राठी ने कहा कि वे अपनी बेटी के कातिल अंकुर को फांसी दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे.
अदालत ने जब दोषी अंकुर को फांसी की सजा सुनाई तब पीड़ित परिवार की तरफ से प्रीति के पिता, भाई और बुआ भी वहां मौजूद थीं. फैसला सुनाने के बाद जज साहिबा उठकर चली गईं. इसी बीच दोषी अंकुर मुस्कराया. इस पर प्रीति की बुआ ने आपत्ति की. बताया जाता है कि अंकुर के साथ धक्कामुक्की भी हुई. इस पर उसने बाहर निकलने के बाद देख लेने की धमकी दी. हालांकि प्रीति के पिता ने इसे मामूली कहासुनी बताया.
गौरतलब है कि मुंबई में भारतीय नौसेना में नर्स बनने के लिए पहुंची प्रीति राठी के चेहरे पर बांद्रा टर्मिनस पर तेजाब फेंकने के मामले में उनके पड़ोसी अंकुर पंवार को कोर्ट ने दोषी करार दिया था. दिल्ली की निवासी 24 साल की प्रीति अपने पिता के साथ मुंबई पहुंची थी ताकि नेवी अस्पताल में नर्स के रूप में नौकरी शुरू कर सके. बांद्रा स्टेशन पर ही उसके कंधे पर किसी ने पीछे से छुआ था और जैसे ही वह पलटी, पीछे खड़े शख्स ने उसके चेहरे पर तेज़ाब फेंका और भाग गया. इस मामले में अंकुर को वारदात के करीब एक साल बाद गिरफ्तार किया गया था. अंकुर का परिवार दिल्ली में प्रीति के पड़ोस में रहता है.
अंकुर पंवार.
पुलिस का कहना है कि अंकुर उसकी कामयाबी से जलता था और इस बात से दुखी था कि उसके परिवार वाले उसे बेरोजगार होने के ताने देते वक्त प्रीति की कामयाबी के बारे में कहते रहते थे. इसलिए वह मुंबई आया, प्रीति पर तेज़ाब फेंका और दूसरी ट्रेन पकड़कर तुरंत ही वापस चला गया. तेज़ाब फेंके जाने के बाद प्रीति लगभग एक महीने तक गंभीर हालत में अस्पताल में रही. लेकिन बाद में उसने दम तोड़ दिया. तेज़ाब से उसका गला और फेफड़े बुरी तरह जल गए थे.
विशेष सरकारी वकील उज्ज्वल निकम के मुताबिक किसी भी तेजाब कांड में यह पहला मामला है जिसमें अदालत ने मौत की सजा सुनाई है. इसके लिए निर्भया कांड के बाद कानून में आई तब्दीली और खुद दोषी अंकुर का अपराध और रवैया भी जिम्मेदार रहा. निकम के मुताबिक आरोपी ने कभी पश्चाताप नहीं किया, गलती नहीं मानी. उसने वारदात पर खेद तक नहीं जताया.
हालांकि बचाव पक्ष का मानना कुछ और है. अंकुर की वकील अपेक्षा वोरा ने दावा किया कि अभियोजन पक्ष ने अपराध से जुड़ी कई बातें अदालत के सामने रखी ही नहीं. पीड़ित महिला थी इसलिए यह सजा मिली है. बचाव पक्ष अब फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देने की तैयारी में है.
मई 2013 में जब प्रीति राठी पर तेजाब से हमला हुआ था तब रेल पुलिस ने पवन नाम के शख्स को पकड़ा था. लेकिन फिर जांच मुंबई क्राइम ब्रांच को दे दी. क्राइम ब्रांच ने अपनी जांच के बाद अंकुर पंवार को आरोपी बनाया. बताया जाता है कि अंकुर ने एकतरफा प्यार और उपेक्षा की वजह से प्रीति की जान ले ली.
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