नई दिल्ली:
राकांपा प्रमुख शरद पवार द्वारा संप्रग में समन्वय तंत्र का मुद्दा उठाए जाने के एक पखवाड़े बाद सत्तारूढ़ गठबंधन के शीर्ष नेताओं ने बड़े मुद्दों पर विस्तार से चर्चा करने की कवायद बुधवार की रात शुरू की।
सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली गठबंधन की समन्वय समिति की पहली बैठक में तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने हिस्सा नहीं लिया। गौरतलब है कि संप्रग में तृणमूल दूसरा सबसे बड़ा घटक दल है।
तृणमूल कांग्रेस ने उन रिपोर्टों को खारिज कर दिया है जिसमें कहा जा रहा था कि पार्टी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के अध्यक्षता वाली संप्रग की पहली समन्वय समिति की आज दिल्ली में हुई बैठक का बहिष्कार किया। तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि पार्टी की अध्यक्ष ममता बनर्जी बैठक में इसलिये हिस्सा नहीं ले सकी क्योंकि उनका पहले से ही जंगलमहल में कार्यक्रम निर्धारित था।
पार्टी के राज्य सभा सदस्य और ममता बनर्जी के निकट सहयोगी कुनाल घोष ने कहा, ‘‘संप्रग नेतृत्व ने ममता बनर्जी को संप्रग के समन्यव समिति की पहली बैठक में हिस्सा लेने का न्यौता दिया था लेकिन वह इसलिये इसमें हिस्सा नहीं ले सकी क्योंकि जंगलमहल में थी और उनका पहले से ही महत्वपूर्ण तय कार्यक्रम था।’’
करीब दो घंटे तक चली बैठक के बाद वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस प्रमुख बाद में उपयुक्त तारीख का संकेत देंगी जब वह समिति की भविष्य में होने वाली बैठक में हिस्सा ले सकती हैं।
समन्वय समिति का फार्मेट इस तरह का है कि इसमें संप्रग में गैर कांग्रेस घटकों के प्रमुखों का सिर्फ प्रतिनिधित्व है और समिति की हर महीने के आखिरी शुक्रवार को बैठक होगी और जरूरत पड़ने पर बैठक अक्सर हो सकती है। राज्यसभा में तृणमूल के मुख्य सचेतक डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि उम्मीद है कि वह अगली बैठक में हिस्सा लेंगी।
चिदंबरम ने कहा, ‘‘यह सामान्य चर्चा थी और किसी विशेष मुद्दे पर चर्चा नहीं की गई।’’ उन्होंने कहा कि पवार ने सूखे का मुद्दा उठाया जबकि किसी और ने ईंधन सब्सिडी से कैसे निपटा जाए इस मुद्दे को उठाया।
बैठक में उड्डयन क्षेत्र के समक्ष समस्याओं के साथ-साथ देश में निवेश माहौल पर भी चर्चा की गई। संप्रग के साल 2004 में केंद्र में सत्ता में आने के बाद से संप्रग समन्वय समिति का पहली बार गठन किया गया है। संप्रग-1 में समन्वय समिति थी लेकिन उसमें सिर्फ कांग्रेस और वाम दल शामिल थे।
आज की बैठक में द्रमुक की ओर से टी आर बालू ने हिस्सा लिया क्योंकि पार्टी प्रमुख एम करुणानिधि आने में सक्षम नहीं थे और इसलिए अपना प्रतिनिधित्व करने के लिए अपनी पार्टी नेता को तैनात किया। चिदंबरम ने कहा कि द्रमुक प्रमुख समिति की अगली बैठक में हिस्सा ले सकते हैं।
सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली गठबंधन की समन्वय समिति की पहली बैठक में तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने हिस्सा नहीं लिया। गौरतलब है कि संप्रग में तृणमूल दूसरा सबसे बड़ा घटक दल है।
तृणमूल कांग्रेस ने उन रिपोर्टों को खारिज कर दिया है जिसमें कहा जा रहा था कि पार्टी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के अध्यक्षता वाली संप्रग की पहली समन्वय समिति की आज दिल्ली में हुई बैठक का बहिष्कार किया। तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि पार्टी की अध्यक्ष ममता बनर्जी बैठक में इसलिये हिस्सा नहीं ले सकी क्योंकि उनका पहले से ही जंगलमहल में कार्यक्रम निर्धारित था।
पार्टी के राज्य सभा सदस्य और ममता बनर्जी के निकट सहयोगी कुनाल घोष ने कहा, ‘‘संप्रग नेतृत्व ने ममता बनर्जी को संप्रग के समन्यव समिति की पहली बैठक में हिस्सा लेने का न्यौता दिया था लेकिन वह इसलिये इसमें हिस्सा नहीं ले सकी क्योंकि जंगलमहल में थी और उनका पहले से ही महत्वपूर्ण तय कार्यक्रम था।’’
करीब दो घंटे तक चली बैठक के बाद वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस प्रमुख बाद में उपयुक्त तारीख का संकेत देंगी जब वह समिति की भविष्य में होने वाली बैठक में हिस्सा ले सकती हैं।
समन्वय समिति का फार्मेट इस तरह का है कि इसमें संप्रग में गैर कांग्रेस घटकों के प्रमुखों का सिर्फ प्रतिनिधित्व है और समिति की हर महीने के आखिरी शुक्रवार को बैठक होगी और जरूरत पड़ने पर बैठक अक्सर हो सकती है। राज्यसभा में तृणमूल के मुख्य सचेतक डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि उम्मीद है कि वह अगली बैठक में हिस्सा लेंगी।
चिदंबरम ने कहा, ‘‘यह सामान्य चर्चा थी और किसी विशेष मुद्दे पर चर्चा नहीं की गई।’’ उन्होंने कहा कि पवार ने सूखे का मुद्दा उठाया जबकि किसी और ने ईंधन सब्सिडी से कैसे निपटा जाए इस मुद्दे को उठाया।
बैठक में उड्डयन क्षेत्र के समक्ष समस्याओं के साथ-साथ देश में निवेश माहौल पर भी चर्चा की गई। संप्रग के साल 2004 में केंद्र में सत्ता में आने के बाद से संप्रग समन्वय समिति का पहली बार गठन किया गया है। संप्रग-1 में समन्वय समिति थी लेकिन उसमें सिर्फ कांग्रेस और वाम दल शामिल थे।
आज की बैठक में द्रमुक की ओर से टी आर बालू ने हिस्सा लिया क्योंकि पार्टी प्रमुख एम करुणानिधि आने में सक्षम नहीं थे और इसलिए अपना प्रतिनिधित्व करने के लिए अपनी पार्टी नेता को तैनात किया। चिदंबरम ने कहा कि द्रमुक प्रमुख समिति की अगली बैठक में हिस्सा ले सकते हैं।
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