यह ख़बर 05 अक्टूबर, 2012 को प्रकाशित हुई थी

ममता ने यूपीए सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर दिया जोर

खास बातें

  • तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी ने बीमा और पेंशन क्षेत्र में एफडीआई की सीमा बढ़ाए जाने को अनैतिक फैसला बताते हुए केंद्र सरकार को हटाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव लाने पर जोर दिया।
कोलकाता:

तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी ने बीमा और पेंशन क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेश निवेश (एफडीआई) की सीमा बढ़ाए जाने को 'अनैतिक' फैसला करार दिया और मनमोहन सरकार को सत्ता से हटाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव लाने पर जोर दिया।

उन्होंने यूपीए के सभी सहयोगियों का आह्वान किया कि वे इसके विरोध में सरकार से हट जाएं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने लोकसभा में केंद्र की 'अल्पमत' सरकार के खिलाफ समान विचारधारा वाली पार्टियों से सहयोग मांगते समय कहा कि तृणमूल कांग्रेस इस संबंध में राष्ट्रपति से मिलेगी।

ममता ने अपने फेसबुक पेज पर कहा, सरकार का जाना जरूरी है, देश को बचाने के लिए। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने का आह्वान करते हुए कहा, अल्पमत सरकार इस तरह की अनैतिक भूमिका नहीं निभा सकती। आइए अविश्वास प्रस्ताव लाएं। हमने इस मुद्दे पर माननीय राष्ट्रपति से मिलने का फैसला किया है।

ममता ने लिखा, आज केंद्र सरकार के और जन-विरोधी फैसलों ने लक्ष्मण रेखा पार कर दी। इन महत्वपूर्ण फैसलों का करोड़ों भारतीयों की आजीविका से सीधा संबंध है। इन फैसलों को एक अल्पमत सरकार ने लिया है, जो अनैतिक (फैसला) है। उन्होंने कहा, बीमा क्षेत्र में एफडीआई की सीमा 26 से बढ़ाकर 49 प्रतिशत किया जाना और पेंशन क्षेत्र में 26 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति दिए जाने से लोगों की जीवनभर की बचत असुरक्षित हो जाएगी।

तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने कहा, क्या यूपीए सरकार का इरादा पूरे देश को बेचना है? हमें एकजुट होकर इस तरह के फैसलों का विरोध करना चाहिए और इस तरह के कई जन-विरोधी फैसलों के बाद सरकार को बचाना नहीं चाहिए। तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि देश की जनता यूपीए सरकार को देख रही है।

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ममता ने कहा, जो लोग यूपीए का समर्थन कर रहे हैं, मैं उनसे अपील करूंगी कि वे सामने आएं और लोगों के हित में इन फैसलों का विरोध करें। कुछ दिन पूर्व तक यूपीए की सहयोगी रही ममता बनर्जी ने केंद्र की सरकार पर देश को लूटने और झूठ बोलने का आरोप लगाते हुए कहा कि एलपीजी सिलेंडरों की संख्या सीमित करने से मिड-डे मील योजना बुरी तरह प्रभावित होगी।