पुणे के मलिण गांव में हुए भूस्खलन का खौफ आसपास के दूसरे गांवों में भी पसर गया है। जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने भी एनडीटीवी से कहा है कि खतरा दूसरे गांवों पर भी है। ऐसा ही एक गांव है कलवाड़ी जिसके लोग घरों में ताला बंद कर सरकारी कैम्प में रहने चले गए हैं।
सहयाद्री पर्वत शृंखला के इस छोटे गांव तक पहुंचने वाली सड़क भूस्खलन की वजह से टूट चुकी है, तेज बारिश ने उसे बहा दिया है। छोटे छोटे झरने, बड़ी-बड़ी चट्टानों के बीच कलवाडी के लोग, वैसे भी बरसात में घर से कम ही निकलते थे, लेकिन मालिण हादसे के बाद खौफ ऐसा पसरा की 200 गांववाले सरकारी कैंप में रहने चले गए।
जिस दिन मालिण में भूस्खलन हुआ यहां भी कई घरों में दरारें पड़ गईं। लोग वापस आ रहे हैं तो दिन में सिर्फ खेत में काम करने, क्योंकि डर से साए में भी पेट पालना मजबूरी है। कलवाड़ी के रहने वाले कोडिंबा साबले ने कहा 'ये बरसात का मौसम है, हम यहां वापस सिर्फ खेत में काम करने आए हैं'। वहीं एक और ग्रामीण ध्यानदेव घोडे ने कहा 'हम सारे लोग एक सरकारी स्कूल में रह रहे हैं, हमें अधिकारियों ने ऐसा करने को कहा है। उन्होंने बताया कि बरसात के मौसम तक हमें यहीं रहना चाहिए।'
गांववालों के मुताबिक सरकारी अधिकारियों ने निरीक्षण के बाद उन्हें गांव खाली करने को कहा। स्थानीय प्रशासन के सूत्रों का भी कहना है कि 17 ऐसे गांवों की पहचान की गई है, जिसमें रहना खतरनाक हो सकता है। इसकी पुष्टि जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने भी की थी।
जीएसआई के डायरेक्टर जेनरल हरबंस सिंह ने एनडीटीवी इंडिया से कहा 'आसपास के गांव में खतरे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।' हालांकि इलाके के गांवों के पुर्नवसन के बारे में कोई भी फैसला, पूरे राज्य में सर्वे के बाद ही लिया जाएगा।
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