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This Article is From Aug 17, 2017

मालेगांव ब्लास्ट मामला : सुप्रीम कोर्ट ने कर्नल पुरोहित की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

कोर्ट में दिया गया तर्क- नौ साल से जेल में हैं कर्नल पुरोहित, यदि सजा मिलेगी तो अधिकतम सात साल होगी

मालेगांव ब्लास्ट मामला : सुप्रीम कोर्ट ने कर्नल पुरोहित की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा
मालेगांव ब्लास्ट मामले में कर्नल पुरोहित की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है.
नई दिल्ली: मालेगांव विस्फोट मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कर्नल पुरोहित की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. कर्नल पुरोहित के वकील हरीश साल्वे ने कोर्ट से कहा कि न्याय के हित में पुरोहित को जमानत मिलनी चाहिए. कर्नल पुरोहित का बम धमाके से कोई लिंक नहीं मिला है और अगर धमाके के आरोप हट जाते हैं तो अधिकतम सजा सात साल की हो सकती है जबकि वे नौ साल से जेल में हैं.

कर्नल पुरोहित की ओर से यह भी माना गया कि वे अभिनव भारत संगठन की मीटिंग में गए थे लेकिन वे सेना की जासूसी के लिए वहां गए थे. पुरोहित ने सुप्रीम कोर्ट में यह भी कहा कि उन्हें राजनीतिक क्रासफायर का शिकार बनाया गया है. हरीश साल्वे ने कहा कि जब तक एनआईए सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल न करे तब तक पुरोहित को अंतरिम जमानत दी जाए.

एनआईए ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि कर्नल पुरोहित को जमानत देने का यह उचित समय नहीं है. ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट ने माना है कि वे बम बनाने और सप्लाई करने में शामिल थे.

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प्रज्ञा ठाकुर की जमानत याचिका पर सुनवाई 10 अक्टूबर को होगी. ब्लास्ट पीड़ित की ओर से जमानत के खिलाफ याचिका दाखिल की गई है. मालेगांव ब्लास्ट मामले में आरोपी कर्नल श्रीकांत पुरोहित की जमानत याचिका और साध्वी प्रज्ञा ठाकुर की जमानत रद्द करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई.

एनआईए ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल कर 2008 मालेगांव ब्लास्ट मामले में आरोपी कर्नल श्रीकांत पुरोहित की जमानत का विरोध किया है. एनआईए ने अपने जवाब में कहा है कि साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर का मामला श्रीकांत पुरोहित से अलग है. एनआईए ने अपने जवाब में कहा है कि पुरोहित के खिलाफ कई सबूत एकत्रित किए गए हैं.

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कर्नल पुरोहित ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत की याचिका दाखिल की है जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने एनआईए को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. बॉम्बे हाईकोर्ट ने जमानत याचिका रद्द कर दी थी.  बॉम्बे हाईकोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा को जमानत दे दी थी. याचिका में पेरिटी के आधार पर जमानत मांगी गई है. याचिका में कर्नल पुरोहित ने कहा है कि वे आठ साल से जेल में बंद हैं. इस मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने सही फैसला नहीं दिया है. हाईकोर्ट ने इसी आधार पर साध्वी प्रज्ञा को जमानत दे दी लेकिन उनको जमानत देने से इनकार कर दिया. इसलिए उन्हें भी समानता के आधार पर जमानत दे दी जाए. याचिका में यह भी कहा है कि हाईकोर्ट ने सेना की कोर्ट ऑफ इंक्वायरी की रिपोर्ट पर गौर नहीं किया जिसमें कहा गया है कि वे सेना के लिए इंटेलीजेंस का काम करते थे.

वहीं 2008 के मालेगांव ब्लास्ट मामले में साध्वी प्रज्ञा सिंह के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. बॉम्बे हाईकोर्ट के जमानत देने और मकोका प्रावधान हटाने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. ब्लास्ट में मारे गए युवक के पिता ने याचिका में हाईकोर्ट के फैसले को गलत ठहराते हुए रोक लगाने की मांग की है.

VIDEO : कर्नल पुरोहित की जमानत याचिका


इसी साल 25 अप्रैल को 2008 के मालेगांव धमाका केस में बॉम्बे हाईकोर्ट से साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को जमानत मिल गई थी. हाईकोर्ट ने प्रज्ञा पर लगाई गई मकोका धारा को भी हटा दिया था. इसके बाद मकोका के तहत जुटाए गए सबूत भी केस से निकाल दिए गए. हालांकि इस मामले में कोर्ट ने कर्नल पुरोहित को जमानत देने से इनकार कर दिया था. हाईकोर्ट ने  साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को 5 लाख रुपये की जमानत राशि और अपना पासपोर्ट एनआईए को जमा कराने और साथ ही ट्रायल कोर्ट में हर तारीख पर पेश होने के आदेश दिए थे. पीठ ने उसे सबूतों से छेड़छाड़ नहीं करने और जब भी जरूरत हो एनआईए अदालत में रिपोर्ट करने का भी निर्देश दिया है. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि पहली नजर में साध्वी के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है. साल 2008  में हुए मालेगांव धमाके में 6 लोगों की मौत हो गई थी और तकरीबन 100 लोग जख्मी हो गए थे. 29 सितंबर 2008 को मालेगांव में एक बाइक में बम लगाकर विस्फोट किया गया था. साध्वी प्रज्ञा पर भोपाल, फरीदाबाद की बैठक में धमाके की साजिश रचने के आरोप लगे थे. साध्वी और पुरोहित को 2008 में गिरफ्तार किया गया था.

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