Gurjar Samrat Mihir Bhoj : सम्राट मिहिर भोज को लेकर विवाद गहराता जा रहा है. दादरी के शिव मंदिर (Dadri Shiv Mandir) में गुर्जरों का महासभा हुई. इस सभा में इनकी मांग है कि सरकार माफी मांगे और सम्राट मिहिर भोज (samrat Mihir Bhoj) के प्रतिमा के नीचे आगे गुर्जर शब्द जोड़ा जाए. पहले इसे काली स्याही से छिपा दिया गया था उसको फिर से बहाल किया जाए. इनका कहना है हमें राजपूत समाज से एतराज नहीं है. इसके लिए बीजेपी विधायक (BJP MLA) और राज्यसभा के बीजेपी सदस्य को जिम्मेदार ठहरा रहे है. सारा विवाद मुख्यमंत्री के सम्राट भोज के प्रतिमा के अनावरण से शुरु हुआ है. हालात को संभालने के लिये बड़ी तादाद में पुलिस बल (Police Force) तैनात किये गए है.
CM योगी ने किया सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा का अनावरण, गुर्जर शब्द हटने पर बढ़ा विवाद
वहीं, समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने रविवार को सम्राट मिहिर भोज (Samrat Mihir Bhoj) की जाति को लेकर उपजे विवाद में दखल देते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधा और कहा कि सम्राट मिहिर भोज गुर्जर-प्रतिहार थे. लेकिन पार्टी के नेताओं ने उनकी जाति ही बदल दी, यह निंदनीय है.
ये इतिहास में पढ़ाया जाता रहा है कि सम्राट मिहिर भोज गुर्जर-प्रतिहार थे पर भाजपाइयों ने उनकी जाति ही बदल दी है। निंदनीय!
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) September 26, 2021
छलवश भाजपा स्थापित ऐतिहासिक तथ्यों से जान-बूझकर छेड़छाड़ व सामाजिक विघटन करके किसी एक पक्ष को अपनी तरफ़ करती रही है।
हम हर समाज के मान-सम्मान के साथ हैं! pic.twitter.com/Zw9ifKpDg5
सपा प्रमुख ने रविवार को ट्वीट किया, ''इतिहास में पढ़ाया जाता रहा है कि सम्राट मिहिर भोज गुर्जर-प्रतिहार थे, पर भाजपाइयों ने उनकी जाति ही बदल दी है. निंदनीय!" यादव ने कहा, ‘‘छल वश भाजपा स्थापित ऐतिहासिक तथ्यों से जानबूझ कर छेड़छाड़ व सामाजिक विघटन कर किसी एक पक्ष को अपनी तरफ करती रही है. हम हर समाज के मान-सम्मान के साथ हैं!''
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा 22 सितंबर को दादरी के मिहिर भोज पीजी कॉलेज में सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा के अनावरण के दौरान शिलापट्ट से गुर्जर शब्द हटाने को लेकर शुक्रवार को गुर्जर समाज के लोग विरोध में उतर आए. दादरी के मिहिर भोज पीजी कॉलेज में सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा के अनावरण को लेकर गुर्जर और राजपूत (क्षत्रिय) समाज आमने सामने थे.
हालांकि, मुख्यमंत्री के दौरे से पहले दोनों समुदाय के प्रतिनिधियों ने एक मंच पर आकर विवाद खत्म कर दिया था. इसके बाद प्रतिमा अनावरण के लिए लगने वाले शिलापट्ट पर गुर्जर शब्द को लेकर राजनीति शुरू हो गई.
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