CM योगी ने किया सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा का अनावरण, गुर्जर शब्द हटने पर बढ़ा विवाद

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज पश्चिमी उत्तर प्रदेश के दादरी और हापुड़ में सभा की. उन्होंने दादरी में सम्राट मिहिर भोज की मूर्ति का अनावरण किया.

दादरी:

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) ने आज पश्चिमी उत्तर प्रदेश (West UP) के दादरी (Dadri) और हापुड़ (Hapur) में सभा की. उन्होंने दादरी में सम्राट मिहिर भोज (Samrat Mihir Bhoj) की मूर्ति का अनावरण किया. सीएम की सभा में बारिश फिर मूर्ति की वजह से हंगामा हो गया. भारी बारिश के चलते फैली अव्यवस्था के बावजूद योगी आदित्यनाथ की सभा में हजारों लोग पहुंचे. दादरी और जेवर के इस विधानसभा में गुर्जर और राजपूत जाति का खासा प्रभाव है. इसके चलते सभा में सम्राट मिहिर भोज से लेकर धन सिंह कोतवाल और ठाकुर रोशन सिंह को खूब याद किया गया. सीएम योगी ने कहा कि हमारे इन वीर महापुरुषों को सदियों तक याद नहीं किया गया. ये महापुरुष किसी एक जाति के नहीं बल्कि सबके थे, हमें इनको नहीं भूलना चाहिए. 

योगी आदित्यनाथ द्वारा सम्राट मिहिर भोज की मूर्ति के अनावरण व सभा खत्म होने के बाद गुर्जर समाज के लोगों में गुस्सा देखने को मिला. लोगों ने बीजेपी विधायक तेजपाल नागर के खिलाफ नारेबाजी करनी शुरु कर दी. लोगों में गुस्सा इस बात से था कि सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा के आगे से किसी ने गुर्जर शब्द हटा दिया था. लोगों का गुस्सा बढ़ता देख मिहिर भोज की प्रतिमा के पास पैरा मिलिट्री और पुलिस फोर्स तैनात करनी पड़ी.

अखिल भारतीय गुर्जर महासभा के अध्यक्ष नरेंद्र सिंह गुर्जर ने कहा कि प्रतिमा से गुर्जर शब्द ही हटा दिया गया, इसलिए हमें मूर्ति के पास नहीं जाने दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि प्रतिमा में मिहिर भोज के नाम से गुर्जर शब्द देर रात चार बजे हटाया गया. 

दरअसल, कुछ दिन पहले से ही सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा को लेकर इस इलाके के राजपूत और गुर्जर दोनों इन्हें अपना बता रहे हैं. कई पंचायतें भी हुई. तनाव बढ़ता देखकर प्रशासन ने राजपूत और गुर्जर समाज के लोगों की साझा प्रेस कान्फ्रेंस भी करवाई थी. अब बीजेपी के विधायक कह रहे हैं चंद लोग झगड़ा करवाना चाहते हैं. लोनी से भाजपा विधायक नंद किशोर गुर्जर ने कहा कि जिसने भी प्रतिमा से गुर्जर शब्द हटाया है उनकी शिकायत करेंगे, लेकिन गुर्जर और राजपूत दोनें क्षत्रिय हैं इसमें कोई अंतर नहीं है. 

इतिहासकार विनय सिंह ने कहा कि सम्राट मिहिर भोज गुर्जर प्रतिहार वंश के सबसे ताकतवर राजा थे. आठवीं शताब्दी से लेकर 11 वीं शताब्दी तक गुर्जर प्रतिहार, चंदेल, चौहान वंश के कई शासकों को गुर्जर अपना और राजपूत अपना मान रहे हैं. इसमें सियासी दखल के चलते सम्राट मिहिर भोज से लेकर राजा सुहेलदेव तक की मूर्तियों पर विवाद खड़ा होता रहा है.

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इतिहास को हमेशा से राजनीति के हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जाता रहा है, लेकिन हाल के दिनों में जिस तरह नेता हर जाति के महापुरुषों को खोज रहे हैं, उससे जागरुकता कम और भ्रम ज्यादा फैल रहा है.

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