मुम्बई:
महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में ‘साइबर अपराध’ रोकने के लिए कॉलेजों और विश्वविद्यालय परिसरों में कैमरे वाले मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने से संबंधित प्रस्ताव पर प्राचार्यों और शिक्षकों के विचार मांगे हैं।
संयुक्त निदेशक, उच्च शिक्षा ने मई में एक पत्र भेजकर कॉलेज प्रमुखों और शिक्षकों से प्रस्ताव पर विचार देने को कहा था।
मुम्बई विश्वविद्यालय के सूत्रों ने कहा कि प्रस्ताव में शैक्षणिक संस्थानों के परिसरों में अनिवार्य रूप से जैमर तथा डीकोडर लगाने की बात भी शामिल है।
सूत्रों ने कहा कि संयुक्त निदेशक ने औरंगाबाद के राकांपा कार्यकर्ता अशोक लैड द्वारा उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश टोपे से इस संबंध में की गई बातचीत के बाद पत्र भेजा।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में प्रस्ताव प्रारंभिक चरण में है और कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया है। सूत्रों ने कहा कि विभाग द्वारा लाए गए प्रस्ताव को शिक्षाविदों और संस्थान प्रमुखों की मंजूरी की जरूरत है।
सूत्रों ने बताया कि लैड ने टोपे को पत्र लिखकर मोबाइल फोन के कैमरे से होने वाले ‘साइबर अपराधों’ पर चिंता जताई थी।
संयुक्त निदेशक के पत्र के बाद मुम्बई विश्वविद्यालय ने अपने से संबंद्ध कॉलेजों को 25 जून को सर्कुलर जारी कर उनका मत मांगा था। सूत्रों ने कहा कि कॉलेजों के जवाब के आधार पर विश्वविद्यालय अपनी रिपोर्ट सौंपेगा।
लैड ने दावा किया था कि कुछ छात्र कक्षाओं और परिसर में मोबाइल फोन से फोटो खींचते हैं और ‘अश्लील गतिविधियों’ में हिस्सा लेते हैं।
संयुक्त निदेशक, उच्च शिक्षा ने मई में एक पत्र भेजकर कॉलेज प्रमुखों और शिक्षकों से प्रस्ताव पर विचार देने को कहा था।
मुम्बई विश्वविद्यालय के सूत्रों ने कहा कि प्रस्ताव में शैक्षणिक संस्थानों के परिसरों में अनिवार्य रूप से जैमर तथा डीकोडर लगाने की बात भी शामिल है।
सूत्रों ने कहा कि संयुक्त निदेशक ने औरंगाबाद के राकांपा कार्यकर्ता अशोक लैड द्वारा उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश टोपे से इस संबंध में की गई बातचीत के बाद पत्र भेजा।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में प्रस्ताव प्रारंभिक चरण में है और कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया है। सूत्रों ने कहा कि विभाग द्वारा लाए गए प्रस्ताव को शिक्षाविदों और संस्थान प्रमुखों की मंजूरी की जरूरत है।
सूत्रों ने बताया कि लैड ने टोपे को पत्र लिखकर मोबाइल फोन के कैमरे से होने वाले ‘साइबर अपराधों’ पर चिंता जताई थी।
संयुक्त निदेशक के पत्र के बाद मुम्बई विश्वविद्यालय ने अपने से संबंद्ध कॉलेजों को 25 जून को सर्कुलर जारी कर उनका मत मांगा था। सूत्रों ने कहा कि कॉलेजों के जवाब के आधार पर विश्वविद्यालय अपनी रिपोर्ट सौंपेगा।
लैड ने दावा किया था कि कुछ छात्र कक्षाओं और परिसर में मोबाइल फोन से फोटो खींचते हैं और ‘अश्लील गतिविधियों’ में हिस्सा लेते हैं।
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