प्रतीकात्मक फोटो
मुंबई:
महाराष्ट्र में राज्य के महाधिवक्ता को बर्खास्त करने की मांग उठी है। बीजेपी छोड़ शिवसेना की अगुवाई में सभी दलों ने इस मांग पर सोमवार को सदन की कार्रवाई नहीं चलने दी। महाराष्ट्र के महाधिवक्ता श्रीहरि अणे ने मराठवाड़ा को अलग राज्य बनाने की मांग रखी है। इस पर विवाद शुरू हो गया है।
राज्य के विभाजन की बात पर नाराजगी
रविवार को मराठवाड़ा के जालना में अणे ने एक बयान में कहा कि, 'मराठवाड़ा पर विदर्भ से ज्यादा अन्याय हुआ है। इसे अपनी स्वायत्तता की तैयारी करनी चाहिए।' उनके इस बयान ने महाराष्ट्र विधानमंडल में माहौल गरमा दिया। एक सरकारी पदाधिकारी से राज्य के विभाजन की बात विपक्ष को हजम नहीं हुई। शिवसेना इस मुद्दे की अगुवाई करते हुए बीजेपी के खिलाफ मुखर थी। उसको कांग्रेस-एनसीपी समेत बाकी दलों ने भी समर्थन दिया। इसके साथ शिवसेना नेताओं ने कैबिनेट बहिष्कार का ऐलान कर दिया।
श्रीहरि अणे की बर्खास्तगी पर अड़ी शिवसेना
सदन की कार्रवाई को रोककर बाहर निकले शिवसेना के नेता और राज्य के पर्यावरण मंत्री रामदास कदम ने संवाददाताओं को बताया कि जब तक श्रीहरि अणे को पद से बर्खास्त नहीं किया जाता तब तक उनकी पार्टी सदन का कामकाज नहीं चलने देगी, न ही तब तक शिवसेना का कोई मंत्री कैबिनेट में शिरकत करेगा।
विधिमंडल में नहीं चलने दी कार्यवाही
शिवसेना के रवैये से बीजेपी खेमे में बेचैनी का माहौल है। सरकार के प्रतिनिधि के रूप में राजस्व मंत्री एकनाथ खड़से ने इस मामले पर मुख्यमंत्री से सदन को अवगत कराने की बात स्पष्ट की। इससे विपक्ष संतुष्ट नहीं हुआ जिसके चलते विधिमंडल के दोनों सदनों में कामकाज नहीं हो सका। लगातार कार्रवाई स्थगित होती रही और आखिरकार दोनों सदन दिनभर के लिए स्थगित हो गए।
महाधिवक्ता की बयानबाजी, सरकार की मुसीबत
वैसे यह दूसरी बार है जब महाधिवक्ता ने राजनीतिक बयानबाजी कर राज्य की बीजेपी सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। इससे पहले वे दिसंबर 2015 में महाराष्ट्र से विदर्भ अलग करने की मांग कर चुके हैं। देर रात मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री ने अणे की राय को उनकी व्यक्तिगत राय बताया है। मुख्यमंत्री मंगलवार को सदन के सामने सरकारी पक्ष रखेंगे।
राज्य के विभाजन की बात पर नाराजगी
रविवार को मराठवाड़ा के जालना में अणे ने एक बयान में कहा कि, 'मराठवाड़ा पर विदर्भ से ज्यादा अन्याय हुआ है। इसे अपनी स्वायत्तता की तैयारी करनी चाहिए।' उनके इस बयान ने महाराष्ट्र विधानमंडल में माहौल गरमा दिया। एक सरकारी पदाधिकारी से राज्य के विभाजन की बात विपक्ष को हजम नहीं हुई। शिवसेना इस मुद्दे की अगुवाई करते हुए बीजेपी के खिलाफ मुखर थी। उसको कांग्रेस-एनसीपी समेत बाकी दलों ने भी समर्थन दिया। इसके साथ शिवसेना नेताओं ने कैबिनेट बहिष्कार का ऐलान कर दिया।
श्रीहरि अणे की बर्खास्तगी पर अड़ी शिवसेना
सदन की कार्रवाई को रोककर बाहर निकले शिवसेना के नेता और राज्य के पर्यावरण मंत्री रामदास कदम ने संवाददाताओं को बताया कि जब तक श्रीहरि अणे को पद से बर्खास्त नहीं किया जाता तब तक उनकी पार्टी सदन का कामकाज नहीं चलने देगी, न ही तब तक शिवसेना का कोई मंत्री कैबिनेट में शिरकत करेगा।
विधिमंडल में नहीं चलने दी कार्यवाही
शिवसेना के रवैये से बीजेपी खेमे में बेचैनी का माहौल है। सरकार के प्रतिनिधि के रूप में राजस्व मंत्री एकनाथ खड़से ने इस मामले पर मुख्यमंत्री से सदन को अवगत कराने की बात स्पष्ट की। इससे विपक्ष संतुष्ट नहीं हुआ जिसके चलते विधिमंडल के दोनों सदनों में कामकाज नहीं हो सका। लगातार कार्रवाई स्थगित होती रही और आखिरकार दोनों सदन दिनभर के लिए स्थगित हो गए।
महाधिवक्ता की बयानबाजी, सरकार की मुसीबत
वैसे यह दूसरी बार है जब महाधिवक्ता ने राजनीतिक बयानबाजी कर राज्य की बीजेपी सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। इससे पहले वे दिसंबर 2015 में महाराष्ट्र से विदर्भ अलग करने की मांग कर चुके हैं। देर रात मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री ने अणे की राय को उनकी व्यक्तिगत राय बताया है। मुख्यमंत्री मंगलवार को सदन के सामने सरकारी पक्ष रखेंगे।
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