नासिक की रसिका और आसिफ आखिरकार विवाह बंधन में बंध ही गए. दोनों के अलग धर्म होने की वजह से समाज के कथित ठेकेदारों ने रसिका के परिवार पर दबाव बनाया था जिस वजह से 18 जुलाई को होने वाली शादी टल गई थी. लेकिन गुरुवार को दोनों की धूमधाम से शादी हुई. खास बात यह है कि दोनों की शादी हिन्दू और मुस्लिम दोनों धर्मो के रीति रिवाज से हुई. रसिका के पिता ने दोनों के विवाह को समर्थन देने के लिए समाज का आभार माना.
महाराष्ट्र के नासिक में मुस्लिम युवक और हिन्दू युवती के बीच प्यार को लव जिहाद का नाम देने से दोनों की शादी रद्द करनी पड़ी थी, जबकि लड़के-लड़की के परिवार एक-दूसरे को सालों से जानते हैं और दोनों परिवारों में शादी के लिए रजामंदी भी थी.
नासिक में रसिका और आसिफ की शादी तय हो गई थी और उनकी शादी का कार्ड इस कदर वायरल हुआ था कि समाज के ठेकेदारों ने इसे लव जिहाद का नाम दे दिया था. नतीजा यहल हुआ कि 18 जुलाई को होने वाली दोनों की शादी रद्द हो गई थी.
लड़की के पिता प्रसाद आडगांवकर ने कहा था कि ''लोगों को लगा कि ये लव जिहाद है, लोगों ने फोन किया. अलग-अलग लोगों ने, संगठनों ने फोन किया और कहा कि ये शादी रद्द कर दो, ये शादी नही होनी चहिए. अगर शादी होगी तो 18 जुलाई को वहां आकर आंदोलन करेंगे और हंगामा करेंगे.'' इस पर शादी रद्द कर दी गई.
28 साल की विकलांग युवती रसिका और आसिफ एक ही इलाके में रहते रहे हैं और पुराने परिचित हैं. विकलांग होने की वजह से रसिका की शादी नही हो पा रही थी. वे दोनों एक-दूसरे को पसन्द करते थे इसलिए दोनों परिवारों ने मिलकर शादी की तारीख तय की थी. ये भी तय हुआ था कि दोनो में से कोई भी अपना धर्म नही बदलेगा.
आसिफ खान ने कहा था कि ''हमारी जो शादी की पत्रिका है उसे आप देखेंगे तो उसमें रसिका का नाम रसिका ही है, रुकसार नही हुआ है. आसिफ का नाम भी आसिफ ही है आशीष नहीं हुआ है. किसी भी तरह का धर्म बदलने की बात नहीं है. हम लोग सिर्फ प्यार करते थे. हमने फैमिली को बोला. फैमिली ने सपोर्ट किया. कोई मां-बाप अपने बच्चों का बुरा कैसे करेंगे. अगर उसके पिता ने फैसला लिया तो सोच कर ही लिया होगा. ऐसा नहीं कि देखा, दिल में आया और शादी कर ली.''
रसिका आडगांवकर का कहना था कि ''ये लव जिहाद का मामला था ही नहीं और कुछ जरूरत नही थी लोगों को. ''
प्यार को लव जिहाद का नाम देने से डरे सहमे परिवार को आखिर महाराष्ट्र के विधायक बच्चू काडु का साथ मिला. उन्होंने कहा कि ''अगर इस देश की एकता अखंडता कायम रखनी है और तिरंगा एक ही सर पर रखना है तो तुम्हे भविष्य में इस बात को समझना होगा. जब तक हम इसे समझेंगे नहीं तब तक देश से जाति और धर्म का भेद कम नहीं होगा.''
समाज के कथित ठेकेदारों के दबाव में आसिफ और रसिका का विवाह समारोह 18 जुलाई को भले ही रद्द हो गया था लेकिन दोनों की कोर्ट मैरिज पहले ही हो चुकी थी. बेवजह हुए इस विवाद ने दोनों को दूर करने के बजाय और करीब ला दिया और आखिरकार उनकी शादी हो गई.
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