राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार ने सोमवार को कहा कि महाराष्ट्र ‘‘ऐतिहासिक आर्थिक संकट'' का सामना कर रहा है और राज्य में बाढ़ प्रभावित लोगों की सहायता करने के लिए राज्य सरकार के पास ऋण लेने के सिवा कोई विकल्प नहीं है. बाढ़ की स्थिति का जायजा लेने के लिए मराठवाड़ा क्षेत्र के दौरे पर गए पवार ने उस्मानाबाद जिले के तुलजापुर में संवाददाताओं से कहा कि इस तरह के बड़े संकट के समय राज्य सरकार अकेले कुछ नहीं कर सकती है. पिछले हफ्ते पुणे, औरंगाबाद और कोंकण क्षेत्र में भारी बारिश और बाढ़ से कम से कम 48 लोगों की मौत हो गई जबकि लाखों हेक्टेयर जमीन पर लगी फसलें बर्बाद हो गईं.
आधिकारिक सूचना के मुताबिक, शुक्रवार तक चार जिलों में 40,036 लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया गया. इनमें 32,500 लोग सोलापुर और छह हजार से अधिक व्यक्ति पुणे के हैं.
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पवार ने कहा, ‘‘बाढ़ प्रभावित लोगों की सहायता करने के लिए राज्य के पास ऋण लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. राज्य ऐतिहासिक आर्थिक संकट का सामना कर रहा है. मुद्दे पर चर्चा के लिए मैं मुख्यमंत्री से मुलाकात करूंगा.'' पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि सर्वाधिक बुरी तरह प्रभावित इलाकों में उस्मानाबाद, लातूर, सोलापुर, नांदेड़ और पंढरपुर शामिल हैं. उन्होंने बताया कि सोयाबीन, कपास और गन्ने की फसल बर्बाद हुई है.
यह पूछने पर कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे राज्य का दौरा क्यों नहीं कर रहे हैं तो पवार ने कहा, ‘‘मैंने ठाकरे से आग्रह किया था कि वह एक स्थान पर रूककर योजना बनाएं. प्रशासन को उचित योजना बनाकर निर्णय लेने की जरूरत है.'' उन्होंने कहा कि किसानों ने ऋण लेकर खेती की है और बाढ़ के कारण फसल भी बर्बाद हो गई.
उन्होंने कहा कि खेतों की मिट्टी बह गई और कुएं, पाइपलाइन और घर भी भारी बारिश के कारण क्षतिग्रस्त हो गए. उन्होंने कहा, ‘‘संकट के समय राज्य और केंद्र सरकारें मिलकर काम करती हैं. इतने बड़े संकट के समय राज्य सरकार अकेले कुछ नहीं कर सकती है.''
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने पढ़ा है कि प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री से बात की थी और आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार राज्य के साथ है. हमारे बीच मतभेद हैं लेकिन इस तरह के संकट के समय हम एकजुट हो जाते हैं.'' उन्होंने कहा, ‘‘हम स्वागत करेंगे अगर (पूर्व मुख्यमंत्री) देवेंद्र फडणवीस हमारे साथ आते हैं (किसानों के लिए पैकेज की मांग करने में).'' हाल में लागू किए गए नये कृषि कानूनों के बारे में पवार ने कहा कि बाजार को खोल दिया गया है और किसान अपनी फसल कहीं भी बेच सकते हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर पहले सरकार निर्णय करती थी जो अब नहीं है. अगर केंद्र सरकार कहती है कि वह एमएसपी देगी तो इसे कानून में क्यों नहीं शामिल किया गया, यही किसानों का सवाल है.''
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