
भीमा कोरेगांव हिंसा में सुप्रीम कोर्ट में महाराष्ट्र सरकार का जवाब
नई दिल्ली:
भीमा कोरेगांव मामले में पांच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की याचिका पर महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जवाब दाखिल किया है. महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. क्योंकि गिरफ्तार लोगों से अनजान लोगों की जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट को सुनवाई नहीं करनी चाहिए.
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महाराष्ट्र पुलिस के एसीपी की ओर से दाखिल हलफनामे में कहा गया है कि पांचों गिरफ्तार आरोपी समाज में अफरातफरी मचाने के प्रयास में थे, वो हिंसा फैलाने के अपवित्र इरादों का हिस्सा हैं. इन पांचों के खिलाफ भरोसेमंद सबूत मिले तब जाकर गिरफ्तारी की गई. इन्हें सरकार से मतभेद या असहमति जताने पर गिरफ्तार नहीं किया गया.
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महाराष्ट्र सरकार ने कहा कि पूरी याचिका आरोपियों के बारे में जानकारी, मीडिया रिपोर्ट, बुद्धिजीवी और एक्टिविस्ट के गिरफ्तारी के खंडन करने को लेकर दाखिल की गई है. पुलिस इन्हें रिमांड पर लेकर पूछताछ करना चाहती है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तार पांचों एक्टीविस्टों को हाउस करने के आदेश दिए थे. जिसे लेकर कल सुनवाई है.
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इतिहासकार रोमिला थापर सहित पांच लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर प्रोफेसर सुधा भारद्वाज, वामपंथी विचारक वरवर राव, वकील अरुण फरेरा, मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा और वेरनन गोंजाल्विस की गिरफ्तारियों को चुनौती दी है.
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