मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (फाइल फोटो)
मुंबई:
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मसौदे पर अपनी रिपोर्ट में महाराष्ट्र सरकार ने सिफारिश की है कि परीक्षाएं सभी स्कूलों में होनी चाहिए, वरना छात्र पढ़ाई की अनदेखी करते हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि ‘कोई परीक्षा नहीं’ और कुछ नहीं, बल्कि अभिभावकों में फैली एक गलत अवधारणा है।
1 अप्रैल 2010 को लागू की गई थी
शिक्षा का अधिकार (आरटीई) कानून के एक प्रमुख हिस्सा ‘परीक्षा में फेल न करने की नीति’ 1 अप्रैल 2010 को लागू की गई थी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि छह से 14 साल के बीच की उम्र का हर बच्चा स्कूल में पढ़ाई करे।
इस नीति के पीछे का उद्देश्य यह था कि स्कूली प्रणाली में परीक्षा में फेल हो जाने के कारण बीच में ही पढ़ाई छोड़ने वाले छात्रों की संख्या न्यूनतम की जा सके।
सतत समग्र मूल्यांकन (सीसीई) की वकालत की है
राज्य सरकार ने अपने सुझाव में छात्रों के लिए सतत समग्र मूल्यांकन (सीसीई) की वकालत की है ताकि इन नियमित परीक्षाओं के अंकों को साल के अंत में होने वाले मूल्यांकन में जोड़ा जा सके।
रिपोर्ट में जिन विभिन्न चिंताओं पर चर्चा की गई उनमें राज्य सरकार ने अभिभावकों को शिक्षा में साझेदार के तौर पर शामिल करने की जरूरत पर जोर दिया है।
1 अप्रैल 2010 को लागू की गई थी
शिक्षा का अधिकार (आरटीई) कानून के एक प्रमुख हिस्सा ‘परीक्षा में फेल न करने की नीति’ 1 अप्रैल 2010 को लागू की गई थी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि छह से 14 साल के बीच की उम्र का हर बच्चा स्कूल में पढ़ाई करे।
इस नीति के पीछे का उद्देश्य यह था कि स्कूली प्रणाली में परीक्षा में फेल हो जाने के कारण बीच में ही पढ़ाई छोड़ने वाले छात्रों की संख्या न्यूनतम की जा सके।
सतत समग्र मूल्यांकन (सीसीई) की वकालत की है
राज्य सरकार ने अपने सुझाव में छात्रों के लिए सतत समग्र मूल्यांकन (सीसीई) की वकालत की है ताकि इन नियमित परीक्षाओं के अंकों को साल के अंत में होने वाले मूल्यांकन में जोड़ा जा सके।
रिपोर्ट में जिन विभिन्न चिंताओं पर चर्चा की गई उनमें राज्य सरकार ने अभिभावकों को शिक्षा में साझेदार के तौर पर शामिल करने की जरूरत पर जोर दिया है।
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