
महाड़ पुल की फाइल फोटो.
- सारे शव मिलने तक जारी रहेगा अभियान
- 350 पुलिसकर्मी और स्थानीय मछुआरे भी मदद में जुटे
- वाहनों को तलाशने के लिए इसरो की मदद लेने पर भी विचार
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मुंबई:
महाराष्ट्र में मुंबई-गोवा हाईवे पर सावित्री नदी में पुल बहने के बाद शवों के निकलने का सिलसिला अब भी जारी है. प्रशासन अब तक 24 शव निकाल चुका है. आशंका है कि यह आंकड़ा 42 तक जा सकता है. सरकार ने ऐलान किया है कि जब तक सारे शव मिल नहीं जाते तब तक लोगों को ढूंढने का काम नहीं रुकेगा.
भारतीय नौसेना, कोस्ट गार्ड एनडीआरएफ की 4 टीमें में शामिल 160 जवान 9 नावों के साथ सावित्री नदी का चप्पा-चप्पा छान रहे हैं. 350 पुलिसकर्मी और स्थानीय मछुआरे भी मदद में जुटे हैं. 110 साल पुराने पुल के ढहने से दो दर्जन से ज्यादा शव निकाले जा चुके हैं. तलाश अब भी जारी है. राज्य के पीडब्लूडी मंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि अभी भी कई लोगों के फंसे होने की आशंका है. हम लोगों के शवों को ढूंढने के लिए सोनार तकनीक के इस्तेमाल की बात सोच रहे हैं. मैंने मुख्यमंत्री से बात की है, जब तक सारे शव नहीं मिल जाते राहत और बचाव का काम बंद नहीं होगा.
मंगलवार रात सावित्री नदी पर बने पुल के ढहने से राज्य परिवहन की दो बसें और कुछ निजी वाहन भी पानी के तेज बहाव में बह गए थे. एनडीआरएफ ने विशाल चुंबक समेत कई उपाय कर लिए लेकिन इन बसों का कोई पता नहीं लगा. प्रशासन अब इस मामले में इसरो की मदद लेने पर भी विचार कर रहा है.
महाड में हुए हादसे के बाद राज्य में सियासत भी परवान पर है. पीड़ित परिवार गमजदा हैं लेकिन सत्ता में शामिल शिवसेना अपनी ही सरकार में मुखिया को हवाई सफर छोड़ जमीन से घूमने की नसीहत दे रही है ताकि उन्हें सड़कों की असलियत का अंदाजा हो. उधर कांग्रेस शिवसेना को यह कहकर ताने मार रही है कि वह पहले मुंबई की सड़कें देखे. वैसे शिवसेना भी शायद यह भूल गई है कि सड़क बनाने का महकमा दोनों पार्टियों के पास है.
भारतीय नौसेना, कोस्ट गार्ड एनडीआरएफ की 4 टीमें में शामिल 160 जवान 9 नावों के साथ सावित्री नदी का चप्पा-चप्पा छान रहे हैं. 350 पुलिसकर्मी और स्थानीय मछुआरे भी मदद में जुटे हैं. 110 साल पुराने पुल के ढहने से दो दर्जन से ज्यादा शव निकाले जा चुके हैं. तलाश अब भी जारी है. राज्य के पीडब्लूडी मंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि अभी भी कई लोगों के फंसे होने की आशंका है. हम लोगों के शवों को ढूंढने के लिए सोनार तकनीक के इस्तेमाल की बात सोच रहे हैं. मैंने मुख्यमंत्री से बात की है, जब तक सारे शव नहीं मिल जाते राहत और बचाव का काम बंद नहीं होगा.
मंगलवार रात सावित्री नदी पर बने पुल के ढहने से राज्य परिवहन की दो बसें और कुछ निजी वाहन भी पानी के तेज बहाव में बह गए थे. एनडीआरएफ ने विशाल चुंबक समेत कई उपाय कर लिए लेकिन इन बसों का कोई पता नहीं लगा. प्रशासन अब इस मामले में इसरो की मदद लेने पर भी विचार कर रहा है.
महाड में हुए हादसे के बाद राज्य में सियासत भी परवान पर है. पीड़ित परिवार गमजदा हैं लेकिन सत्ता में शामिल शिवसेना अपनी ही सरकार में मुखिया को हवाई सफर छोड़ जमीन से घूमने की नसीहत दे रही है ताकि उन्हें सड़कों की असलियत का अंदाजा हो. उधर कांग्रेस शिवसेना को यह कहकर ताने मार रही है कि वह पहले मुंबई की सड़कें देखे. वैसे शिवसेना भी शायद यह भूल गई है कि सड़क बनाने का महकमा दोनों पार्टियों के पास है.
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