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नई दिल्ली:
तमाम राज्यों में रोक और पाबंदी के बीच मैगी के नुकसानदेह होने पर केंद्र सरकार ने भी मुहर लगा दी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की संस्था की जांच में 9 तरह के मैगी नूडल्स हानिकारक पाए गए हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय की संस्था भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण यानी FSSAI की जांच के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने फौरन मैगी का उत्पादन और बिक्री रोकने का आदेश दिया। यही नहीं सरकार का आरोप है कि मैगी ने बिना इजाज़त कई वैरियेंट्स निकाले।
साथ ही FSSAI ने ये भी कहा कि मैगी ओट्स मसाला नूडल्स को बिना मंजूरी के बाज़ार में उतारा गया और इसे भी बाज़ार से हटाने को कहा गया है। FSSAI का कहना है कि नेस्ले ने MSG को लेकर मानकों की अनदेखी की है और कंपनी को तीन दिन में इस आदेश पर अमल की रिपोर्ट देने को कहा है।
उधर शुक्रवार को मैगी बनाने वाली कंपनी नेस्ले के सबसे बड़े अधिकारी, नेस्ले के ग्लोबल सीईओ पॉल बुल्के ने सामने आकर दावा किया कि मैगी में कोई गड़बड़ी नहीं है- वो सेहत के लिहाज से पूरी तरह सुरक्षित है। कंपनी ने कहा कि उसने मैगी के 1000 से ज़्यादा नमूनों की जांच की गई और हर जांच पर मैगी खरी उतरी। लेकिन मैगी को लेकर भ्रम फैला है इसलिए हम इसे बाज़ार से हटा रहे हैं।
कंपनी ने दावा किया कि मैगी जल्द बाज़ार में वापस लौटेगी। साथ ही, नेस्ले के ग्लोबल सीईओ ने ये भी कहा कि गुणवत्ता के मापदंड पूरी दुनिया में एक समान हैं। बुल्के ने कहा कि उपभोक्ताओं की सुरक्षा उनकी प्राथमिकता है और उनके लिए स्टॉक मार्केट से ज़्यादा लोगों का भरोसा और सेहत अहम है। नेस्ले ने ये भी कहा कि उम्मीद है मैगी जल्द बाज़ार में वापसी करेगी।
एनडीटीवी ने जब नेस्ले के ग्लोबल सीईओ पॉल बुल्के से मैगी में MSG पाये जाने पर सवाल पूछा तो उन्होंने कहा कि हम MSG अपनी तरफ से नहीं मिलाते।
उधर शुक्रवार को बिहार में मैगी पर एक महीने की पाबंदी लगाई गई है। मध्य प्रदेश में भी मैगी रोक दी गई है। नेस्ले की बार-बार सफाई के बावजूद जिस तरह से कई राज्यों में प्रतिबंध लगाया गया है उससे मैगी की गुणवत्ता को लेकर उठे विवाद का दायरा और बढ़ गया है। अब नेस्ले के सामने चुनौती उपभोक्ताओं का विश्वास हासिल करने की होगी।
स्वास्थ्य मंत्रालय की संस्था भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण यानी FSSAI की जांच के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने फौरन मैगी का उत्पादन और बिक्री रोकने का आदेश दिया। यही नहीं सरकार का आरोप है कि मैगी ने बिना इजाज़त कई वैरियेंट्स निकाले।
साथ ही FSSAI ने ये भी कहा कि मैगी ओट्स मसाला नूडल्स को बिना मंजूरी के बाज़ार में उतारा गया और इसे भी बाज़ार से हटाने को कहा गया है। FSSAI का कहना है कि नेस्ले ने MSG को लेकर मानकों की अनदेखी की है और कंपनी को तीन दिन में इस आदेश पर अमल की रिपोर्ट देने को कहा है।
उधर शुक्रवार को मैगी बनाने वाली कंपनी नेस्ले के सबसे बड़े अधिकारी, नेस्ले के ग्लोबल सीईओ पॉल बुल्के ने सामने आकर दावा किया कि मैगी में कोई गड़बड़ी नहीं है- वो सेहत के लिहाज से पूरी तरह सुरक्षित है। कंपनी ने कहा कि उसने मैगी के 1000 से ज़्यादा नमूनों की जांच की गई और हर जांच पर मैगी खरी उतरी। लेकिन मैगी को लेकर भ्रम फैला है इसलिए हम इसे बाज़ार से हटा रहे हैं।
कंपनी ने दावा किया कि मैगी जल्द बाज़ार में वापस लौटेगी। साथ ही, नेस्ले के ग्लोबल सीईओ ने ये भी कहा कि गुणवत्ता के मापदंड पूरी दुनिया में एक समान हैं। बुल्के ने कहा कि उपभोक्ताओं की सुरक्षा उनकी प्राथमिकता है और उनके लिए स्टॉक मार्केट से ज़्यादा लोगों का भरोसा और सेहत अहम है। नेस्ले ने ये भी कहा कि उम्मीद है मैगी जल्द बाज़ार में वापसी करेगी।
एनडीटीवी ने जब नेस्ले के ग्लोबल सीईओ पॉल बुल्के से मैगी में MSG पाये जाने पर सवाल पूछा तो उन्होंने कहा कि हम MSG अपनी तरफ से नहीं मिलाते।
उधर शुक्रवार को बिहार में मैगी पर एक महीने की पाबंदी लगाई गई है। मध्य प्रदेश में भी मैगी रोक दी गई है। नेस्ले की बार-बार सफाई के बावजूद जिस तरह से कई राज्यों में प्रतिबंध लगाया गया है उससे मैगी की गुणवत्ता को लेकर उठे विवाद का दायरा और बढ़ गया है। अब नेस्ले के सामने चुनौती उपभोक्ताओं का विश्वास हासिल करने की होगी।
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