देश की सबसे बड़ी पैरामिलेट्री फोर्स सीआरपीएफ की पासिंग आउट सेरेमनी वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए हुई. इतिहास में पहली बार किसी फोर्स की पासिंग आउट केवल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई, वह भी बिना किसी परेड के. कोई सलामी परेड नहीं हुई. इसकी जगह पर गुरुग्राम की सीआरपीएफ ट्रेनिंग अकादमी के हॉल में 42 युवा अधिकारियों को राष्ट्र की सेवा के लिए शपथ दिलाई गई. परिवार भी शामिल हुए पर वे यूट्यूब और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया के जरिए इस खास सेरेमनी का हिस्सा बन सके.
सीआरपीएफ के डीआईजी एम दिनाकरन ने एडीटीवी इंडिया को बताया कि पहले ये दीक्षांत समारोह 22 मार्च को होना था लेकिन कोरोना महामारी की वजह से नहीं हो पाया. इन अफसरों की ट्रेनिंग खत्म हो गई थी. फील्ड में इनकी जरूरत भी थी. लिहाजा हमने गृह मंत्रालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पीओपी को लेकर अनुरोध किया ओर हमें इजाजत मिल गई.
कोरोना की वजह से परेड तो नहीं हो पाई पर एक हॉल में शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया गया. कोरोना को देखते हुए एहितयातन सेरेमनी से पहले पूरे हॉल को सैनिटाइज किया गया. सोशल डिस्टेंसिंग के हिसाब से ट्रेनी अफसरों को दूर-दूर रखा गया. पास होने की प्रकिया का एक अंतिम हिस्सा जिसे अंतिम पग यानी ‘पीलिंग ऑफ' कहा जाता है, वह भी हॉल की सीढ़ियों पर ही पूरा किया गया.
सीआरपीएफ के डीजी एपी महाश्वेरी ने हेडक्वार्टर से अफसरों को शपथ दिलाई. डीजी ने कहा कि पीओपी एक सैनिक के जीवन का एक अनूठा क्षण है. यह इस गौरवशाली क्षण है कि वह स्वयं को राष्ट्र की सेवा के प्रति कर्तव्य और समर्पण के लिए हमेशा तत्पर रखता है. सीआरपीएफ के बहादुरों की अतुलनीय वीरता और सर्वोच्च बलिदान का इतिहास रहा है. उन्होंने इन अफसरों से कहा कि वे देश की सेवा और निष्ठा के उच्चतर मानक स्थापित करें.
इन सभी ट्रेनी अफसरों की 52 दिनों की ट्रेनिंग हुई. असिस्टेंट कमांडेट के तौर पर देश के आंतरिक हिस्सों में तैनात यूनिटों में इनकी तैनाती होगी. इनकी ट्रेनिंग पिछले साल शुरू हुई थी जो अब जाकर खत्म हुई.
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