केंद्र सरकार देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी एलआईसी में विनिवेश (LIC Disinvestment) को आसान बनाने के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति में बदलाव लाने के प्रस्ताव पर विचार कर सकती है. उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) ने वित्त मंत्रालय से परामर्श करने के बाद यह प्रस्ताव आगे बढ़ाया है. इससे परिचित एक सूत्र ने कहा, केंद्रीय कैबिनेट शनिवार को इस प्रस्ताव पर विचार करेगा. मौजूदा एफडीआई नीति के मुताबिक बीमा क्षेत्र में स्वत: मार्ग के तहत 74 प्रतिशत विदेशी निवेश की अनुमति है. हालांकि, यह नियम भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC IPO) पर लागू नहीं होता है.
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इसका प्रबंधन एक अलग कानून एलआईसी ऐक्ट के तहत होता है. बाजार नियामक सेबी के नियमों के अनुसार, सार्वजनिक निर्गम पेशकश के तहत एफपीआई (विदेशी पोर्टफोलियो निवेश) और एफडीआई दोनों की अनुमति है. एलआईसी ऐक्ट में विदेशी निवेश के लिए कोई प्रावधान नहीं है, लिहाजा विदेशी निवेशक भागीदारी के के मामले में प्रस्तावित एलआईसी आईपीओ को सेबी के मानकों के अनुरूप बनाने की जरूरत है.
मंत्रिमंडल ने पिछले साल जुलाई में एलआईसी के आईपीओ को मंजूरी दी थी. इस निर्गम के लिए एलआईसी ने बाजार नियामक सेबी के समक्ष आवेदन किया हुआ है. एलआईसी में शुरुआती दौर में 5 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की तैयारी है. एलआईसी ग्राहकों को आईपीओ के तहत छूट देने की भी तैयारी है.
देश का सबसे बड़ा IPO यानी शेयर बाजार में इनीशियल पब्लिक ऑफरिंग (Initial Public Offering) मार्च में आ रहा है.जीवन बीमा निगम या Life Insurance Corporation में अपना आईपीओ (LIC IPO) लेकर आ रही है, ऐसा पहली बार होगा, जब एलआईसी अपने शेयरों का एक बड़ा हिस्सा निवेशकों के लिए खोलेगी. इस आईपीओ में खरीदारी के लिए कंपनी एलआईसी के कर्मचारियों और पॉलिसीधारकों को छूट भी देगी. लेकिन अगर आप प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना के भी बीमाधारक हैं, तो आपको भी फायदा होगा.
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