यह ख़बर 20 जून, 2012 को प्रकाशित हुई थी

समर्थन के लिए प्रणब ने माकपा से साधा संपर्क

खास बातें

  • वामपंथी पार्टियों की गुरुवार होने वाली बैठक से पहले संप्रग के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी ने माकपा महासचिव प्रकाश करात से बात कर समर्थन मांगा लेकिन उन्हें कोई आश्वासन नहीं मिला है।
नई दिल्ली:

राष्ट्रपति चुनाव पर रणनीति तय करने के लिए वामपंथी पार्टियों की गुरुवार होने वाली बैठक से पहले संप्रग के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी ने माकपा महासचिव प्रकाश करात से बात कर समर्थन मांगा लेकिन उन्हें कोई आश्वासन नहीं मिला है।

मुखर्जी ने गैर-संप्रग दलों से समर्थन पाने की अपनी कवायद के तहत कल करात से फोन पर बात की थी। सूत्रों ने कहा कि करात ने उन्हें कोई आश्वासन नहीं दिया और कहा कि माकपा पोलित ब्यूरो की कल बैठक होगी, जिसके बाद वाम दलों की बैठक में इस मुद्दे पर निर्णय किया जाएगा।

सूत्रों के मुताबिक कल होने वाली वाम दलों की बैठक में करात के अलावा सीताराम येचुरी और एस रामचंद्रन पिल्लई (माकपा), ए बी बर्धन, सुधाकर रेड्डी और डी राजा (भाकपा), देवव्रत विश्वास और जी देवराजन (फारवर्ड ब्लाक) तथा टीजे चंद्रचूड़न (आरएसपी) हिस्सा लेंगे।

10.98 लाख वोट मूल्य वाले इलेक्टोरल कॉलेज में वामपंथी पार्टियों के करीब 51 हजार वोट हैं। वामपंथी पार्टियों की बैठक से पहले माकपा पोलित ब्यूरो की बैठक राजधानी में होने जा रही है जहां राष्ट्रपति पद के मुद्दे सहित अन्य मुद्दों पर विचार-विमर्श होगा।

संप्रग उम्मीदवार को समर्थन के मुद्दे पर वामपंथी पार्टियों ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं और उनका कहना है कि वे सत्तारूढ़ गठबंधन के उम्मीदवार का समर्थन करने को बाध्य नहीं हैं। करात ने कहा था, ‘‘हम बाध्य नहीं हैं। हम कांग्रेस एवं संप्रग गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं कि हम उनके प्रस्तावित किसी भी उम्मीदवार का समर्थन करने के लिए विवश हों।’’ माकपा ने इससे पहले राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के समर्थन के मुद्दे पर धर्मनिरपेक्ष और वामपंथी पार्टियों से विचार विमर्श करने का निर्णय किया था।

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संप्रग के शीर्ष नेता पहले ही करात और बर्धन से बात कर मुखर्जी के लिए समर्थन मांग चुके हैं। माकपा की केंद्रीय समिति की हाल ही में हुई बैठक में भी अगले महीने होने वाले राष्ट्रपति चुनाव पर चर्चा हुई। बैठक में पोलित ब्यूरो को इस विषय पर अन्य वामपंथी दलों और समान विचार वाले धर्मनिरपेक्ष दलों के साथ बातचीत के बाद रणनीति तय करने के लिए अधिकृत किया गया था।