केंद्र सरकार भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक को सोमवार को लोकसभा में पारित कराने की कोशिश करेगी। सहयोगी और विपक्षी दलों को साथ लेने के लिए सरकार इसमें संशोधन भी करेगी। हालांकि विधेयक के मूल ढांचे को नहीं बदला जाएगा।
सूत्रों के मुताबिक़ विदेश से वापस आने के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली संशोधनों के बारे में कांग्रेस नेताओं से चर्चा करेंगे। उनकी कोशिश होगी कि कांग्रेस के सुझावों को भी संशोधनों के ज़रिए विधेयक में डाला जाए ताकि इसे पारित कराने में आसानी हो। हालांकि कांग्रेस ये साफ़ कर चुकी है कि वो यूपीए सरकार द्वारा बनाए गए क़ानून में किसी भी तरह के बदलाव के ख़िलाफ़ है क्योंकि मोदी सरकार ने जो तब्दीलियां की हैं वो किसान विरोधी हैं।
सरकार का कहना है कि सभी सहयोगी दल से बातचीत हो चुकी है और वो इस विधेयक पर सरकार का साथ देंगी। उसे ये भरोसा भी है कि एआईएडीएमके, बीजेडी और एनसीपी जैसे विपक्षी दल भी सरकार का साथ देंगे।
बुधवार को पार्टी अध्यक्ष अमित शाह में भूमि अधिग्रहण विधेयक पर बनाई गई बीजेपी की आठ सदस्यीय समिति से मुलाक़ात की। समिति का कहना है कि बिल में बदलाव पर उसकी कई किसान संगठनों से बातचीत हो चुकी है समिति अपनी रिपोर्ट सप्ताहांत में शाह को सौंप देगी। सरकार के संशोधनों में समिति के सुझावों को भी शामिल किया जाएगा ताकि इसका सेहरा पार्टी के सिर बंध सके।
एनडीटीवी इंडिया ये रिपोर्ट कर चुका है कि सरकार संशोधन को तैयार है। कई विवादास्पद प्रावधानों में संशोधन किए जाएंगे। विवादास्पद प्रावधानों की भाषा बदली जाएगी। पीपीपी मॉडल में कहा जाएगा कि जमीन पर मालिकाना हक़ सरकार का होगा क्योंकि विपक्षी पार्टियां "प्राइवेट एंटिटी" शब्द पर एतराज़ कर रही हैं। इंडस्ट्रियल कॉरिडोर में सड़क से एक-दो किमी तक की ज़मीन का ही होगा अधिग्रहण। सामाजिक ढांचे में सिर्फ सरकारी स्कूल, अस्पताल ही बनेंगे निजी नहीं। सहमति और सामाजिक प्रभाव अध्ययन (SIA) के प्रावधानों को अधिक स्पष्ट किया जाएगा।
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