लखीमपुर खीरी मामले में अब किसानों के पीड़ित परिवार भी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं. इन परिवारों ने भी केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा को जमानत दिए जाने के फैसले को चुनौती दी है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मिश्रा को जमानत देने का फैसला सुनाया था. कार से कुचले गए मृतक किसानों के परिवारों की ओर से वकील प्रशांत भूषण के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि परिवार के सदस्यों को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए मजबूर किया गया है क्योंकि उत्तर प्रदेश सरकार हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील दायर करने में विफल रही है.
याचिका में क्या दिए गए हैं तर्क?
आदेश के गुण-दोष पर याचिका में कहा गया है कि 'हाईकोर्ट ने जमानत देते समय मिश्रा के खिलाफ बड़े सबूतों पर विचार नहीं किया क्योंकि उसके खिलाफ चार्जशीट रिकॉर्ड में नहीं लाई गई. हाईकोर्ट ने अपराध की जघन्य प्रकृति, चार्जशीट में आरोपी के खिलाफ ठोस सबूत, पीड़ित और गवाहों के संदर्भ में आरोपी की स्थिति की संभावना पर विचार किए बिना जमानत दी थी. आरोपी न्याय से भाग रहा है और अपराध को दोहरा रहा है और गवाहों के साथ छेड़छाड़ करने और न्याय के रास्ते में बाधा डालने की संभावना है.'
याचिका में यह भी कहा गया है कि पीड़ितों को संबंधित सामग्री को हाईकोर्ट के संज्ञान में लाने से रोका गया क्योंकि उनके वकील 18 जनवरी, 2022 को जमानत मामले की सुनवाई से अलग हो गए थे. याचिका में कहा गया है कि 'वकील मुश्किल से कोई दलील दे सके और दोबारा कनेक्ट होने के लिए कोर्ट स्टाफ को बार-बार कॉल करने से कोई फायदा नहीं हुआ और पीड़ितों द्वारा हाईकोर्ट में प्रभावी सुनवाई के लिए दायर अर्जी खारिज कर दी गई.'
बता दें कि इससे पहले आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत को चुनौती देने की एक और अर्जी दाखिल की गई है. सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता वकील शिव कुमार त्रिपाठी और CS पांडा ने अर्जी दाखिल की है. किसानों को अपनी जीप से कुचलने के आरोपी आशीष मिश्रा को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच से जमानत मिल गई थी. मिश्रा को लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में गिरफ्तार किया गया था. इस मामले में उत्तर प्रदेश की एसआईटी ने 5 हजार पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी.
पूरा मामला
3 अक्टूबर, 2021 को जिले के तिकुनिया इलाके में हुई हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी. इस मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष तथा 15-20 अन्य लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया था. आशीष को 9 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था. इस घटना में कथित तौर पर भीड़ में लोगों के ऊपर एसयूवी (थार जीप) चढ़ा देने से चार किसानों की मौत हो गई थी. उसके बाद भड़की हिंसा में दो भाजपा समर्थकों, एक एसयूवी चालक और एक पत्रकार की भी मौत हो गई.
"न्याय की कोई उम्मीद नहीं'' : आशीष मिश्रा को जमानत मिलने पर बेटे को खोने वाले किसान का दर्द
भाजपा समर्थक सुमित जायसवाल की शिकायत पर पहली प्राथमिकी दर्ज होने के बाद उसी थाने में दूसरी प्रति-प्राथमिकी दर्ज कराई गई. सुमित को बाद में गिरफ्तार भी कर लिया गया. वहीं इस मामले में दो वकीलों की चिट्ठी पर सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका के तौर पर दर्ज किया था. इसके बाद CJI एन वी रमना की बेंच ने यूपी पुलिस की SIT पर लगातार सवाल उठाए थे. सुप्रीम कोर्ट के दबाव के चलते आशीष मिश्रा की गिरफ्तारी हुई.
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