भारत और चीन के बीच तनाव कम होने के बाद एक सप्ताह में दूसरी बार होने वाली वर्किंग मैकेनिज्म फॉर कंसल्टेशन एंड कोआर्डिनेशन (WMCC) की बैठक में भारत और चीन के बीच मतभेद दूर करने की कोशिश की जाएगी. यह बैठक शुक्रवार को होगी. परामर्श और समन्वय के लिए पहले दौर में असहमति के बाद शर्तों पर पारस्परिक सहमति बन गई है. अब भारत रिज लाइनों को बहाल करने और यथास्थिति बहाल करने पर ध्यान केंद्रित करेगा.
पांच जुलाई को आयोजित बैठक में दोनों देशों ने "जल्द से जल्द पूर्ण विघटन" और यथास्थिति बहाल करने पर सहमति व्यक्त की थी. सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने NDTV को बताया कि "सतर्क आशावाद के साथ हम आगे बढ़ रहे हैं और जमीन पर हुई प्रगति की समीक्षा करेंगे." उनके अनुसार मौजूदा परिस्थितियों में 5 जुलाई को आयोजित की गई अंतिम वार्ता थी जिसको बहुत सफल कहा जा सकता है. वह कहते हैं कि '' पिछले चार दिनों में चीजें अच्छी तरह से जमीन पर उतरी हैं. अगर सब ठीक चला तो अगले 10 दिन और बेहतर होंगे.''
नई दिल्ली से जमीन तक पहुंचने वाली रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि गैल्वेन, गोगरा और हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र में प्रारंभिक विघटन पूरा हो गया है. हालांकि, चीनी सैनिकों का कम होने का सिलसिला पोंगोंग त्सो के पास, जो कि चौथा गतिरोध बिंदु है, वहां सबसे धीमा है.
रिपोर्टों के अनुसार चीन इन सभी क्षेत्रों से अपने सैनिकों को वापस ले गया है. एक वरिष्ठ नौकरशाह बताते हैं कि “यह एक मुश्किल स्थिति थी क्योंकि हमारे पास मोलभाव करने की कोई चीज नहीं थी. लेकिन भारत ने अपने रुख का बचाव किया और अच्छी खबर है कि चीन को भरोसा है.” उनके अनुसार जहां तक पैंगो त्सो का संबंध है, क्योंकि वहां कोई निश्चित सीमा नहीं है, भारतीय सेनाएं गश्त करने के लिए फिंगर 8 तक जाती थीं. वे कहते हैं कि “पैट्रोलिंग को कुछ समय के लिए रोक दिया गया है लेकिन चीजों को ठंडा होने के बाद बहाल किया जाएगा. हम हमारे प्रत्येक बिंदु को भौतिक रूप से सत्यापित करेंगे.”
WMCC की पिछली बैठक में यह स्पष्ट हुआ कि हम क्षेत्र में शांति चाहते हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम चारों ओर से धकेले जा सकते हैं. शुक्रवार को WMCC की बैठक फिर से होगी. यह बैठक संयुक्त सचिव (पूर्वी एशिया) नवीन श्रीवास्तव और चीनी विदेश मंत्रालय के सीमा और महासागरीय मामलों के विभाग के महानिदेशक वू जियांगहाओ के बीच होगी.
नवीन श्रीवास्तव और वू जियांगहाओ की 24 जून को आखिरी बैठक हुई थी. तब उन्होंने निष्कर्ष निकाला था कि दोनों पक्षों को वरिष्ठ सैन्य कमांडरों द्वारा सहमत किए गए असहमति और डी-एस्केलेशन चरणों को जल्दी से लागू करने की आवश्यकता है. लेकिन इस समझौते से जमीनी स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ और एक जुझारू बीजिंग ने भारत पर दबाव बनाने की कोशिश जारी रखी. नई दिल्ली पर द्विपक्षीय समझौतों का उल्लंघन करने और गालवान घाटी में 15 जून को हुए संघर्ष को भड़काने का आरोप लगाया, जिससे दोनों पक्षों के लोग हताहत हुए.
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