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This Article is From Sep 09, 2015

कोटा : विद्यार्थियों की सुसाइड दर 60 फीसदी बढ़ी

कोटा : विद्यार्थियों की सुसाइड दर 60 फीसदी बढ़ी
प्रतीकात्मक फोटो
जयपुर: पिछले तीन महीनो के दौरान कोटा में आईआईटी की कोचिंग ले रहे छात्रों की आत्महत्याएं चिंता का विषय बन गई हैं। हर साल लाखों छात्र इंजीनियरिंग या मेडिकल का एग्जाम देते हैं, और कोटा से भी बड़ी तादाद में छात्र चुने जाते हैं। लेकिन सफलता की इस दौड़ में जो पीछे रह जाते हैं, उनका क्या होता है...? माता पिता, कोचिंग के टीचर्स शायद यह भूल जाते हैं कि सिर्फ सफल छात्र, जिनकी बड़ी-बड़ी होर्डिंग्स कोटा शहर में लगाई जाती हैं, वही इस शहर का चेहरा नहीं हैं। उन बच्चों की जिम्मेदारी भी कोटा के बहुत कॉम्पिटीटिव माहौल को लेनी पड़ेगी, जो जिंदगी की रेस से भी आउट हो जाते हैं।

इस साल 11 अगस्त को योगेश जोहरे ने अपने हॉस्टल की बिल्डिंग से कूदकर जान दे दी थी, और वह सिर्फ 17 साल का था। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा के रहने वाले योगेश ने एक महीना पहले कोचिंग क्लास ज्वाइन की थी। इससे कुछ पहले 20 जुलाई को अविनाश ने आत्महत्या की थी, जो इलाहाबाद के समीप एक छोटे-से गांव कल्याणपुर का रहने वाला था। एक दिन पहले इंटरनल असेसमेंट में उसके नंबर कम आए थे। वह रेजोनेंस से कोचिंग ले रहा था। दिव्यांश विश्वकर्मा जौनपुर, उत्तर प्रदेश का रहने वाला था और वह के एलेन कोचिंग इंस्टीट्यूट में पढ़ रहा था। उसने 16 जून को आत्महत्या की थी।

कोटा के जवाहर नगर पुलिस थाना इलाके के इंस्पेक्टर भूपेंद्र सिंह हिंगर चिंतित हैं। वह कहते हैं 'कोटा में पिछले तीन महीनो में स्टूडेंट्स के सात सुसाइड के केस सामने आए हैं। यहां सुसाइड का ट्रेंड बढ़ रहा है।' उनकी परेशानी वह आंकड़ा भी बयां करता है, जिसके अनुसार कोटा में पिछले साल के मुकाबले स्टूडेंट सुसाइड रेट में 60 फीसदी की वृद्धि हुई है।

कामयाबी के सपने देखते हुए 16 साल का हिमांशु मध्य प्रदेश के इंदौर से कोटा पढ़ने आया है। जी-जान लगाकर मेहनत करता है, आखिर माता-पिता की आकांक्षाएं जो पूरी करनी हैं। सुबह 6 बजे से रात के 8 बजे तक पढ़ाई, कोचिंग और एक्स्ट्रा क्लास। साथ ही हर हफ्ते होने वाली इंटरनल असेसमेंट भी बच्चों पर दबाव डालती है। हिमांशु कहता है, 'वे स्ट्रेस में आ जाते हैं, इसलिए सुसाइड कर लेते हैं। उनके घर वालों का दबाव रहता है कि इतने नंबर तो आने ही चाहिए, जो कभी-कभी नहीं आते।'

उसका मित्र पवन भी उसकी बात से सहमत है। वह कहता है 'सुसाइड का सबसे बड़ा कारण है, टेस्ट में नंबर कम आना। इस पढ़ाई में कुछ समझ नहीं आता।'

हर साल इंजीनियरिंग के विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए करीब 14 लाख बच्चे परीक्षाएं देते हैं, जबकि आईआईटी में सिर्फ दस हजार का सेलेक्शन होता है। डॉक्टर बीएस शेखावत कोटा के जाने-माने मनोचिकित्सक हैं, और उनका कहना है कि पढ़ाई के अलावा सामाजिक और आर्थिक कारण भी होते हैं सुसाइड के पीछे। 'कई बच्चे छोटे शहरों से आते हैं, जो गरीब तबके से होते हैं और उनके पास इतने साधन नहीं होते। उनके लिए इस तरह का माहौल और मुश्किल पैदा करता है, क्योंकि इससे उनमें हीन भावना पैदा हो जाती है...'

इन मामलों की जांच कर चुके पुलिस अधिकारियों का मानना है कि सुसाइड में वृद्धि मई-जून से लेकर सितम्बर के महीनों के बीच होती है, क्योंकि इसी दौरान नए सेशन शुरू होते हैं। प्रशासन और कोचिंग सेंटर, दोनों ने काउंसिलिंग के लिए हेल्पलाइन तो खोली हैं, लेकिन सही तरह से क्रियान्वित नहीं होने के कारण कोटा में बढ़ती सुसाइड दर पर नियंत्रण नहीं है।

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