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This Article is From Dec 28, 2015

भाजपा और तृणमूल को सत्ता से उखाड़ फेंके, वामपंथी शक्तियों को मजबूत करें : माकपा

भाजपा और तृणमूल को सत्ता से उखाड़ फेंके, वामपंथी शक्तियों को मजबूत करें : माकपा
प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर
कोलकाता: मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने रविवार को पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस और केंद्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार पर जमकर गोले दागे। पार्टी ने लोगों का आह्वान किया कि वे इन दोनों सरकारों को सत्ता से उखाड़ फेंके। माकपा ने कहा कि एक पार्टी (भाजपा) सांप्रदायिकता का जहर फैला रही है तो दूसरी पार्टी (तृणमूल) ने पश्चिम बंगाल को तबाही के रास्ते पर ढकेल दिया है। यहां ब्रिगेड परेड ग्राउंड में एक विशाल रैली को संबोधित करते हुए माकपा नेताओं ने लोगों का आह्वान किया कि वे देश में वामपंथी शक्तियों को मजबूत करें।

उनका कहना था कि केवल वामपंथी पार्टियां ही वैकल्पिक नीतियां पेश कर सकती हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने तृणमूल सरकार और मोदी सरकार की नीतियों की आलोचना करते हुए देश और पश्चिम बंगाल के हित के लिए तृणमूल और भाजपा को सत्ता से बेदखल करने का आह्वान किया।

पार्टी महसचिव सीताराम येचुरी और अन्य पोलित ब्यूरो सदस्यों की मौजूदगी में रैली की अध्यक्षता करते हुए भट्टाचार्य ने पश्चिम बंगाल में 2016 में होने वाले विधानसभा चुनाव में वाममोर्चे का समर्थन करने का आह्वान किया। रैली में आए जनसैलाब की तरफ से मिल रहे समर्थन के बीच भट्टाचार्य ने कहा, "देश की स्थिति अच्छी नहीं है। भाजपा जहर फैला रही है। देश इससे तबाह हो जाएगा। भाजपा लोगों की रोटी छीन रही है। हमें भाजपा को हटाना होगा। इसलिए इस रैली से पहला नारा यही निकलना चाहिए कि भाजपा हटाओ-देश बचाओ।"

भट्टाचार्य ने कहा कि तृणमूल सरकार की नीतियों की वजह से राज्य तबाही की कगार पर पहुंच गया है। किसी का कोई भविष्य नहीं है। उद्योग-धंधे लग नहीं रहे हैं। राज्य के हित में तृणमूल सरकार को हटाना होगा। उन्होंने नारा दिया, तृणमूल हटाओ-देश बचाओ। माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने प्रधानमंत्री के विदेश दौरों पर सवाल उठाते हुए कहा कि सतही बातचीत से भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में मजबूती नहीं आएगी। येचुरी ने मोदी के लाहौर जाने की तरफ इशारा करते हुए कहा, "वह (मोदी) कहते थे 'हम पाकिस्तान से तब तक बात नहीं करेंगे जब तक वह आतंकवाद नहीं रोक देगा। अब वार्ता शुरू हो गई है।"

येचुरी ने कहा, "बातचीत की जरूरत है। बातचीत होनी चाहिए। दोनों देशों के रिश्ते मजबूत होने चाहिए। इस पर हम आपके साथ हैं। लेकिन आप मुंबई में (पाकिस्तानी) गजल गायक गुलाम अली को नहीं सुन सकते। आप पाकिस्तान क्रिकेट टीम को यहां खेलने नहीं देते। इस तरह की हवा-हवाई बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकलेगा।" रैली को संबोधित करते हुए माकपा की पोलित ब्यूरो सदस्य वृंदा करात ने कहा, "सांप्रदायिक भाजपा और आरएसएस देश को जोड़ने के लिए नहीं बल्कि तोड़ने के लिए जाने जाते हैं। हम इन्हें पश्चिम बंगाल में एक इंच भी नहीं सौपेंगे। तृणमूल और भाजपा बाहर से दिखाने के लिए झगड़ते हैं लेकिन अंदर से दोनों दोस्त हैं।"

उन्होंने कहा, "जब दादरी में आदमी की हत्या के खिलाफ, हरियाणा में दलित बच्चों की हत्या के खिलाफ पूरा देश विरोध जता रहा था, तृणमूल के सांसद कहीं दिख नहीं रहे थे। कहां थे वे? वे शारदा (चिटफंड) घोटाले के सिलसिले में या तो जेल में थे या बेल (जमानत) पर थे।" वृंदा ने कहा कि महिला मुख्यमंत्री होने के बावजूद पश्चिम बंगाल महिलाओं के साथ अपराध के मामले में देश में सबसे आगे है। त्रिपुरा के मुख्यमंत्री और पोलित ब्यूरो के सदस्य माणिक सरकार ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस से निराश आम लोगों तक पहुंचने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि आज देश की जरूरत वाम लोकतांत्रिक शक्तियों का विकास है और बंगाल में इसमें नेतृत्वकारी भूमिका निभाएगा। माकपा की पश्चिम बंगाल इकाई के सचिव सूर्यकांत मिश्रा ने कहा कि लोगों को पार्टी से जोड़ने की जरूरत है। उन्होंने माना कि पार्टी में कुछ 'अवांछित तत्व' हैं। माकपा की केरल इकाई के सचिव के. बालाकृष्णन ने कहा कि मोदी सरकार 'औद्योगिक घरानों के लिए, उन्हीं की और उनके द्वारा बनी सरकार' है और यह धनवानों के लिए नीतियां बना रही है।

वाम मोर्चे के अध्यक्ष बिमान बोस ने कहा कि 'बंगाल में अस्तित्व खो चुके लोकतंत्र को बहाल करने की जरूरत है।' इन तमाम बातों के जवाब में तृणमूल कांग्रेस ने माकपा की जनसभा का मखौल उड़ाया। पार्टी ने कहा कि इस जन सभा में जन (जनता) ही नहीं थे। तृणमूल के महासचिव पार्था चटर्जी ने कहा, "उनकी जनसभा में जनता नहीं थी। यह एक ऐसे मजाक में बदल गई कि सभी वक्ताओं को जल्दी में मंच छोड़ना पड़ा। किसी एक भी वक्ता ने ऐसी कोई बात नहीं कही जिससे लोग इनके (वाम मोर्चे के) 34 साल के खराब शासनकाल को भूल कर बदलाव के बारे में सोच सकें।"

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