
अस्पताल का कहना है कि अधिकतर बच्चों को बेहद गंभीर हालत में यहां लाया गया था। जिन बच्चों की मौत हुई, वे दूर-दराज के इलाकों से यहां लाए गए थे और जन्म के वक्त उनका वजन भी काफी कम था।
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अस्पताल प्रशासन की तरफ से कहा गया है कि अधिकतर बच्चों को बेहद गंभीर हालत में यहां लाया गया था। जिन बच्चों की मौत हुई, वे दूर-दराज के इलाकों से यहां लाए गए थे और जन्म के वक्त उनका वजन भी काफी कम था। कोलकाता का बीसी रॉय अस्पताल को पश्चिम बंगाल के जाने-माने शिशु अस्पतालों में गिना जाता है।
स्वास्थ्य विभाग के स्पेशल टास्क फोर्स के अध्यक्ष त्रिदेब बनर्जी ने कहा, "बीसी रॉय एक रेफरल अस्पताल है और यहां कई मरीजों को गंभीर हालत में भर्ती कराया जाता है। डॉक्टर पूरी कोशिश करते हैं, लेकिन कई बार मरीजों की हालत इतनी खराब होती है कि उन्हें बचाया नहीं जा सकता। लापरवाही का एक भी मामला नहीं है।"
इस टास्क फोर्स का गठन 2011 में किया गया था, जब राज्य के अलग-अलग सरकारी अस्पतालों में कई शिशुओं की मौत पर बड़ा बवाल मचा था। अक्टूबर, 2011 में बीसी रॉय अस्पताल में 48 घंटों में 18 शिशुओं की मौत हो गई थी, जिसके बाद नाराज अभिभावकों ने जोरदार प्रदर्शन किया था। इसके बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अस्पताल के दौरे पर गई थीं।
नवजात शिशुओं की मौत के लिए राज्य सरकार पर आरोप लगाते हुए सीपीआई नेता डी राजा ने आज कहा कि यह एक हकीकत है कि हमारे बच्चे मर रहे हैं और शर्मनाक है कि हम उन्हें बचा नहीं पा रहे हैं। किसी न किसी को तो जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
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