विज्ञापन
This Article is From Jan 27, 2022

जानें क्या है रेलवे की आरआरबी और एनटीपीसी के रिजल्ट में रोल नंबर का रोल?

यह पूरा मामला नए तरीके के एग्जाम लेने के प्रोसेस की वजह से पेचीदा हो गया है. 2019 में नॉन टेक्निकल पोस्ट के लिए आरआरबी यानी रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड ने वैकेंसी निकाली थी. इस वैकेंसी में जो नियम बनाए गए उसमें दो कैटगरी बनाई गई.

रेलवे के आरआरबी और एनटीपीसी का रिजल्ट जैसी ही आया सड़कों पर हंगामा हो गया. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

रेलवे के आरआरबी यानी रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड और एनटीपीसी (नॉन-टेक्निकल पॉपुलर कटेगरी) का रिजल्ट जैसे ही आया सड़कों पर हंगामा हो गया. छात्रों को लगा कि उन्हें ठगा गया है, क्योंकि इस बार रेलवे ने पहले के मुकाबले 20 फीसदी लोगों को पास कराने का वादा किया था. लिहाजा छात्रों को लग रहा था कि उन्हें ज्यादा मौका मिलेगा. लेकिन जब रिजल्ट आया तो बहुत से लोग इसमें वंचित रह गए. इसके पीछे की बड़ी वजह रेलवे के अलग-अलग पोस्टों पर एक ही छात्र के क्वालीफाई हो जाने से हुआ. क्योंकि, रेलवे ने एक छात्र को अलग-अलग पद पर क्वालीफाई होने पर उनकी संख्या अलग-अलग गिनी, जबकि छात्रों का कहना है कि अगर एक छात्र है तो यूनिट एक ही मानी जानी चाहिए नहीं तो बहुत से लोग वंचित रह जाएंगे. क्योंकि कोई भी आवेदक किसी एक ही पद पर चुनाव करेगा और वो नौकरी भी एक ही पद पर करेगा, फिर अगर वह 4 पद पर क्वालीफाई करता है तो उसे अलग-अलग क्यों माना जा रहा है.

क्या है पूरा मामला
दरअसल, यह पूरा मामला नए तरीके के एग्जाम लेने के प्रोसेस की वजह से पेचीदा हो गया है. 2019 में नॉन टेक्निकल पोस्ट के लिए आरआरबी यानी रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड ने वैकेंसी निकाली थी. इस वैकेंसी में जो नियम बनाए गए उसमें दो कैटगरी बनाई गई. एक 12वीं पास की और दूसरी ग्रैजुएट की. लेकिन इसमें नियम यह रखा गया कि ग्रेजुएट पास आवेदक भी 12वीं पास की एलिजिबिलिटी वाले पोस्ट का एग्जाम दे सकता है. दूसरा नियम यह बना कि इस परीक्षा को 3 चरणों में कराया जाएगा. जिसको सीबीटी-1, सीबीटी 2 और सीबीटी 3 कहा गया. सीबीटी -1 में नियम यह बना कि इस बार जितनी भी पोस्ट होगी उससे 20 गुना ज्यादा बच्चों को क्वालीफाई कराया जाएगा और उन्हें अगले चरण में जाने का मौका मिलेगा. रेलवे के तमाम आवेदक इस को लेकर उत्साहित भी थे लेकिन जब रिजल्ट आया तो उन्हें लगा कि उनके साथ चीटिंग हुई है. क्योंकि रेलवे ने भले ही 20 गुना बच्चों का रिजल्ट निकाला हो, लेकिन वास्तव में परीक्षार्थी 20 गुना पास नहीं हुए. इसमें परीक्षार्थी तकरीबन 3 लाख 50 हजार कम क्वालीफाई हुए और यहीं से सारा विवाद शुरू हुआ.

आरआरबी-एनटीपीसी के रिजल्ट में विवाद इसलिए भी है. क्योंकि 12वीं के पोस्ट वाले में ग्रेजुएट वालों ने भी एग्जाम दिया. साथ ही एक ही आवेदक अलग-अलग पोस्ट के ऑप्शन को भी भरा. उदाहरण के तौर पर क्लर्क की अगर 500 पोस्ट थी और ऑफिस असिस्टेंट की भी 300 पोस्ट थी, तो एक ही आवेदक ने दोनों पोस्ट के लिए फॉर्म भरा. रेलवे ने 500 का 20 गुना यानी 2000 लोगों को क्वालीफाई कराया और 300 का 20 गुना लोगों को क्वालीफाई कराया. लेकिन हकीकत में इसमें लोग क्वालीफाई नहीं हुए, बल्कि एक ही आवेदक जिसका एक ही रोल नंबर दोनों पोस्ट के लिये था और दोनों जगह उसे अलग-अलग आइडेंटिटी मान कर काउंट किया, जिससे रेलवे के नियम के हिसाब से तो 20 गुना का नंबर काउंट हो गया. लेकिन उतने लड़के क्वालिफाई नहीं किये. इसलिए परीक्षार्थियों की मांग है कि एक आवेदक अगर तीन लेबल के लिये क्वालिफाई किया है तो उसे तीन नहीं एक माना जाये. इससे वंचित परीक्षार्थियों को मौका मिल जायेगा.

गौरतलब है कि इससे पहले 2015 में जब एग्जाम हुआ था तो अलग-अलग हुआ था. इसलिए उसमें विवाद नहीं हुआ. इस बार यह नया नियम लगाने से परेशानी आई है. ऐसे में जानकारों का भी यह कहना है कि सरकार को थोड़ा उदार होना चाहिए. रेलवे मंत्रालय को बड़ा दिल दिखाना चाहिए. जिससे बीते 3 सालों से इस नौकरी की आस लगाए बच्चों को बड़ी राहत जरूर मिल जाएगी.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com