पूर्वांचल की तरफ चली किसान पंचायत, बाराबंकी के बाद कल गोरखपुर के पास जुटेंगे किसान

KIsan Panchayat Barabanki, Gorakhpur :भाकियू कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन को महापंचायतों के जरिये पश्चिम यूपी से पूर्वांचल ले जा रही है, ताकि उन छोटे किसानों को जोड़ा जा सके जो दिल्ली बॉर्डर नहीं पहुंच सकते

पूर्वांचल की तरफ चली किसान पंचायत, बाराबंकी के बाद कल गोरखपुर के पास जुटेंगे किसान

KIsan Panchayat से छोटे किसानों को भी जोड़ने की मुहिम चला रही भारतीय किसान यूनियन(फाइल)

लखनऊ:

भारतीय किसान यूनियन अब किसान आंदोलन (Kisan Andolan) को महापंचायतों (Mahapanchayat) के जरिये पश्चिम उत्तर प्रदेश से पूर्वी उत्तर प्रदेश यानी पूर्वांचल (Purvanchal) ले जाने की तैयारी में जुट गई है. इस कवायद में पहली किसान पंचायत बुधवार को बाराबंकी में हुई और गुरुवार को गोरखपुर के पास बस्ती में एक पंचायत होगी. किसान यूनियनों का कहना है कि पूर्वांचल के किसान ट्रेनें बंद होने से आंदोलन स्थल तक पहुंच सके, इसलिए पंचायतों के जरिये उन्हें किसान आंदोलन से जोड़ा जाएगा.

बाराबंकी में हुई पंचायत में आसपास के कई जिलों के किसान अपने नेताओं की बात सुनने पहुंचे. यहां नरेश टिकैत ने किसानों को बताया कि नए कृषि कानूनों से छोटे किसानों को ज्यादा नुकसान होगा. नरेश टिकैत ने कहा, हमें छोटे किसानों को बचाना है, बड़े किसान तो फिर भी बच जाएंगे.नरेश टिकैत बोले कि हम ये देख रहे हैं कि किसानों में कितना रोष और गुस्सा है. पंचायतें और महापंचायतें हो रही हैं. जो कभी इतने बड़े पैमाने पर नहीं देख जाती थीं.

दिल्ली बॉर्डर (Delhi Border) पर पश्चिमी यूपी के किसान तो बड़ी तादाद में शामिल हो रहे हैं, लेकिन पूर्वी यूपी के किसानों के लिए वहां पहुंचने में हजारों किलोमीटर का सफर करना पड़ता है. हरदोई से बाराबंकी की महापंचायत में शामिल होने आए किसान ईश्वर सिंह ने कहा कि पंचायत से किसानों को अपनी समस्याएं रखने का मंच मिलता है. उन्होंने कहा कि गेहूं-धान का जो रेट 20 साल पहले था, वही मिल रहा है. कीटनाशक, पेट्रोल-डीजल (Petrol-Doesel) सब इतना महंगा हो गया है. मूल्य इतना आसमान छू रहा है कि कोई जवाब नहीं. युवा किसान अनूप 25 किलोमीटर दूर से इस पंचायत में शामिल होने आए.

बीएससी एग्रीकल्चर से कर रहे अनूप का कहना है कि ऐसे पंचायतें उन किसानों को जोड़ेगी जो दिल्ली की सीमाओं तक नहीं पहुंच सकते. किसान अनुपम यादव ने कहा कि हम छोटे-सीमांत किसान काम-धंधा छोड़कर अपनी बातें गाजीपुर बॉर्डर पर बैठे तक नहीं पहुंचा सकते, लिहाजा महापंचायतों में शामिल होकर अपनी परेशानियां गिना रहे हैं. 

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यही कारण है कि किसान आंदोलन (Farmers Protest)  के लंबा खिंचता देख किसान नेता भी लंबी लड़ाई की तैयारी में जुटे हैं. वे वेस्ट यूपी के बाद पूर्वी उत्तर प्रदेश (UP Farmers) और अन्य इलाकों में किसान पंचायत कर किसानों को जोड़ने में जुटे हैं. जो लोग दिल्ली बॉर्डर नहीं पहुंच सकते, उनके इलाकों में किसान पंचायत करने से किसान यूनियनों को फायदा होगा.