DDCA में जेटली पर लग रहे आरोपों पर बोले कीर्ति आजाद- इसे सीनाज़ोरी नहीं तो और क्या कहें?

DDCA में जेटली पर लग रहे आरोपों पर बोले कीर्ति आजाद- इसे सीनाज़ोरी नहीं तो और क्या कहें?

कीर्ति आजाद (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

दिल्ली एंड डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट असोसिएशन यानी DDCA में भ्रष्टाचार का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। आप और कांग्रेस पार्टी के बाद रवीश कुमार से बातचीत में बीजेपी सांसद कीर्ति आजाद ने भी वित्त मंत्री अरुण जेटली पर आरोप आर्थिक अनियमितताओं संबंधी आरोप लगाए हैं। यहां बता दें कि जेटली डीडीसीए के 1999 से लेकर 2013 तक चेयरमैन रहे।

पढ़ें रवीश कुमार से कीर्ति आजाद से हुई सिलसिलेवार बातचीत:

'यह वह दौर था जब डीडीसीए के अध्यक्ष अरुण जेटली ही थे...'
रवीश ने कीर्ति आजाद से पूछा कि पिछले आठ साल से आप जिस मामले को उठा रहे हैं, वे क्या हैं? क्या उनमें जेटली की कोई स्पष्ट भूमिका है और क्या डीडीसीए विवाद में जेटली की जवाबदेही तय की जा सकती है? इसके जवाब में कीर्ति आज़ाद ने कहा कि ये पूरी तरह से डीडीसीए में भ्रष्टाचार का मामला है। उन्होंने कहा, 'मेरे साथ बिशन सिंह बेदी, मनिंदर सिंह, सुरेंदर खन्ना भी हैं। सवाल उठाने वाले अफ़सरों को CBI ने 40 दिन पहले नोटिस भेजा, 40 सवाल पूछे हैं। 14 फ़र्ज़ी कंपनियों को 87 करोड़ रुपया दिया गया। 24 करोड़ में बनने वाला स्टेडियम 57 करोड़ में बनाया गया। इसके बाद स्टेडियम पर 87 करोड़ रुपए और खर्च हो गए।' कीर्ति ने कहा, 'स्टेडियम पर इस खर्च का कोई ठीक हिसाब नहीं। किसी को नहीं मालूम खर्च एग्ज़िक्यूटिव कमेटी में पास हुआ या नहीं और यह वह दौर था जब डीडीसीए के अध्यक्ष अरुण जेटली ही थे।

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'हम अरुण जेटली को लगातार बताते रहे...'
रवीश कुमार ने पूछा कि डीडीसीए अध्यक्ष के नाते अरुण जेटली कहां चूक कर रहे थे, इस पर आज़ाद ने कहा, 'हमारा कोई व्यक्तिगत आरोप नहीं है। हम अरुण जेटली को लगातार बताते रहे थे। चिट्ठी से नहीं हुआ तो संसद में सवाल उठाए। कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय की ओर से सीरियस फ्रॉड इनवेस्टिगेटिंग ऑफ़िस ने जांच की और 42 जगहों पर उनको दोषी पाया गया। इसमें करोड़ों की हेराफेरी पर हज़ारों की कंपाउंडिंग का मामला सामने आया। इसको चोरी, सीनाज़ोरी नहीं तो और क्या कहेंगे?'

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यह पूछे जाने पर कि कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय ने किस दौर में जांच की, कीर्ति आज़ाद ने बताया कि यह 2012-13 की बात है। रजिस्ट्रार ऑफ़ कंपनीज़ ने अभी के अध्यक्ष को नोटिस दिया। तीन कंपनियों को 1.55 करोड़ रु बांट दिए गए और जो अध्यक्ष हैं, उनकी कंपनी में पैसा डाला गया।