
दिल्ली विधानसभा चुनावों में भाजपा की करारी हार के बाद किरण बेदी ने आज कहा कि अपनी पूरी ऊर्जा और अनुभव झोंकने के बावजूद वह अपनी पहली ‘‘चुनावी राजनीति की परीक्षा में विफल’’ रहीं।
भाजपा की तरफ से मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार बनाई गईं पूर्व आईपीएस अधिकारी ने एक खुले पत्र के माध्यम से यह स्वीकार किया।
उन्होंने अपने आधिकारिक ब्लॉग पर लिखा है, ‘‘परीक्षा में मैं असफल रही और अपने निर्णय के लिए पूरी जिम्मेदारी लेती हूं। लेकिन मेरे अंदर की राजनीति नहीं मरी है। जितना वक्त मुझे दिया गया उसमें मैंने अपनी पूरी ऊर्जा और अपना अनुभव झोंक दिया। निश्चित रूप से यह पर्याप्त नहीं था।’’
उन्होंने लिखा है, ‘‘मैं इस बात के साथ नहीं मरना चाहती थी कि केवल मैं बयानबाजी करती थी और चुनावी राजनीति की परीक्षा पास करने की हिम्मत नहीं की।’’
परिणामों के तुरंत बाद उन्होंने यह कहकर हलचल मचा दी थी कि यह ‘‘उनकी हार नहीं’’ है बल्कि ‘‘भाजपा की हार’’ है जिसे हार के लिए ‘‘आत्ममंथन’’ करना चाहिए।
बेदी ने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान उन पर जो ‘‘गलत शब्दों’’ के बाण चलाए गए उन्हें सुनने के लिए उनके माता-पिता जिंदा नहीं हैं जिससे वह राहत महसूस कर रही हैं।
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