मल्लपुरम:
मल्लपुरम की एक अदालत ने रजिस्टर्ड पोस्ट के जरिए पत्नी को दिए गए तलाक को वैधता प्रदान करने की एक व्यक्ति की याचिका को खारिज कर दिया है. याचिका को खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि इस्लामी कानून के तहत निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया. बुधवार इस जिले के अली फैजी की याचिका को खारिज करते हुए पारिवारिक अदालत के न्यायाधीश रमेश भाई ने कहा कि याचिकाकर्ता इस बात का साक्ष्य पेश करने में विफल रहा है कि इस तलाक में धार्मिक नियम के अनुरूप तय प्रक्रिया का पालन किया गया. केरल और कर्नाटक उच्च न्यायालयों के पूर्व के आदेशों का हवाला देते हुए न्यायाधीश ने कहा कि पवित्र कुरान के अनुसार, तलाक किसी तर्कसंगत कारण के चलते दिया जाना चाहिए और इस्लामी कानून के अनुसार इससे पहले मैत्री के प्रयास किए जाने चाहिए.
याचिकाकर्ता ने डाक से तलाक देने को वैध करने की मांग की ताकि वह कानून तौर पर अपनी पत्नी को तलाक दे सके. हालांकि पत्नी ने दलील दी कि तलाक को कानूनी तौर पर मान्य नहीं माना जा सकता क्योंकि याचिकाकर्ता ने मुस्लिम कानून में वर्णित प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया. फैजी ने वर्ष 2012 में अपनी पत्नी को रजिस्टर्ड पोस्ट के जरिए तलाकपत्र भेजा था. उसकी पत्नी ने यह कहकर इसे स्वीकार करने से मना कर दिया था कि उसने तलाक की किसी वजह का उल्लेख नहीं किया. तलाक से जुड़ी इस याचिका को अदालत ने एक ऐसे समय पर खारिज किया है, जबकि उच्चतम न्यायालय में तीन तलाक के मुद्दे पर सुनवाई चल रही है.
याचिकाकर्ता ने डाक से तलाक देने को वैध करने की मांग की ताकि वह कानून तौर पर अपनी पत्नी को तलाक दे सके. हालांकि पत्नी ने दलील दी कि तलाक को कानूनी तौर पर मान्य नहीं माना जा सकता क्योंकि याचिकाकर्ता ने मुस्लिम कानून में वर्णित प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया. फैजी ने वर्ष 2012 में अपनी पत्नी को रजिस्टर्ड पोस्ट के जरिए तलाकपत्र भेजा था. उसकी पत्नी ने यह कहकर इसे स्वीकार करने से मना कर दिया था कि उसने तलाक की किसी वजह का उल्लेख नहीं किया. तलाक से जुड़ी इस याचिका को अदालत ने एक ऐसे समय पर खारिज किया है, जबकि उच्चतम न्यायालय में तीन तलाक के मुद्दे पर सुनवाई चल रही है.
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