केरल के मुख्यमंत्री पिनारायी विजयन (Kerala CM Pinarayi Vijayan) ने सोमवार को केरल विधानसभा सत्र में अविश्वास प्रस्ताव (Kerala Assembly Floor Test) के दौरान बहस पर कांग्रेस पर खूब जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि कांग्रेस की हालत दयनीय है और इसके अधिकतर नेताओं को बीजेपी की कॉल का इंतजार है. उन्होंने कहा कि 'कांग्रेस अपना नेतृत्व तय नहीं कर पा रही, वहीं पार्टी के वरिष्ठ नेता एक दूसरे को 'बीेजेपी का एजेंट' बुला रहे हैं.' उन्होंने दावा किया कि पार्टी के अधिकतर नेताओं को बीजेपी जॉइन करने की आस में बीजेपी की कॉल का इंतजार है.
पिनारायी विजयन का निशाना कांग्रेस में नेतृत्व को लेकर उठे संकट पर था. कांग्रेस में नेतृत्व को लेकर दो धड़ा बंट गया है, जिसे लेकर सोमवार को पार्टी की कार्यसमिति की बैठक हुई थी. पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं सहित 20 से ज्यादा सदस्यों ने एक फुल टाइम अध्यक्ष चुने जाने को लेकर पत्र लिखा था, जिसपर पार्टी में विवाद छिड़ गया है. CWC की मीटिंग में एक धड़ा अपनी इस मांग पर कायम था, वहीं दूसरा धड़ा गांधी परिवार में ही अपनी आस्था बनाए रखने का पक्षधर था.
इसपर केरल विधानसभा में फ्लोर टेस्ट के दौरान पिनारायी विजयन ने तंज कसते हुए कहा, 'एक तरफ इन्होंने यहां पर अविश्वास प्रस्ताव दे रखा है, वहीं दूसरा अविश्वास प्रस्ताव दिल्ली में चल रहा है. वहां इनके नेता एक दूसरे को बीजेपी एजेंट बुला रहे हैं. वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल को सबके सामने यह कहना पड़ा कि वो बीजेपी के एजेंट नहीं हैं. हालांकि, बाद में उन्होंने अपना बयान वापस ले लिया.'
1980 के दशक के बयान को किया याद
पी विजयन ने कांग्रेस पार्टी की ओर से 1980 के दशक में दिए गए एक बयान की भी याद दिलाई, जब कांग्रेस की ओर से कहा गया था कि केरल में लेफ्ट पार्टी सत्त्ता में फिर कभी नहीं आएगी, लेकिन 'लेफ्ट उसके बाद चार बार सत्ता में आया'. उन्होंने कहा, 'कांग्रेस में अपना नेता चुनने की क्षमता नहीं है. वरिष्ठ नेताओं ने नेतृत्व में बदलाव की मांग के लिए एक चिट्ठी लिखी है. सोनिया गांधी इस्तीफा देने को सहमत थीं. राहुल गांधी ने पहले ही पद संभालने से इनकार कर दिया है. क्या एक राजनीतिक पार्टी के तौर पर इन लोगों ने कभी कोई स्टैंड लिया है?'
बता दें कि सोमवार को केरल विधानसभा में वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (LDF) सरकार के खिलाफ कांग्रेस नीत संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (UDF) की ओर से लाया गया अविश्वास प्रस्ताव 40 के मुकाबले 87 मतों से गिर गया. बता दें कि साल 2005 में केरल की तत्कालीन कांग्रेस की ओमन चांडी सरकार के खिलाफ माकपा विधायक कोडियेरी बालाकृष्णन द्वारा अविश्वास प्रस्ताव पेश किए जाने के 15 साल बाद केरल विधानसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया था. राज्य की 140 सदस्यीय विधानसभा में नौ घंटे तक चली बहस के बाद मतविभाजन में इस प्रस्ताव के विरोध में 87 वोट पड़े जबकि पक्ष में महज 40 मत ही पड़े.
Video: कई घंटे चली CWC की बैठक, सोनिया गांधी पर फिर भरोसा
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