बार मालिकों की पैरवी करने पर अटॉर्नी जनरल पर भड़के केरल के सीएम चांडी

बार मालिकों की पैरवी करने पर अटॉर्नी जनरल पर भड़के केरल के सीएम चांडी

केरल के मुख्यमंत्री ओमन चांडी

कोच्चि / नई दिल्ली:

केरल के CM ओमन चांडी ने अटॉर्नी जनरल द्वारा बार मालिकों की सुप्रीम कोर्ट में पैरवी के लिए केंद्र की निंदा की। उन्होंने कहा कि रोहतगी को केरल सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पैरवी नहीं करनी चाहिए थी।

शुक्रवार को रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट में केरल सरकार की शराब नीति के खिलाफ बार मालिकों की एक याचिका की सुनवाई के दौरान पैरवी की थी। बार मालिकों की यह याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी थी।

पिछले साल केरल सरकार ने शराब के उपभोग को कम करने के लिए राज्य में नई नीति की घोषणा की थी। बताया जा रहा है कि केस की अगली सुनवाई  28 जुलाई को होनी है और केरल सरकार चाहती है कि अगली सुनवाई में रोहतगी बार मालिकों की पैरवी न करें। इसके लिए वह लिखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपना विरोध दर्ज कराने की तैयारी में है।

मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी एक बयान में कहा गया है कि यह हैरान करने वाला है कि अटॉर्नी जनरल ने ऐसा किया और वह भी केंद्र सरकार से इजाजत लेने के बाद। इसलिए प्रधानमंत्री को इस विषय पर अपनी मंशा साफ करनी चाहिए।

59 वर्षीय रोहतगी ने सुनवाई के दौरान कोर्ट से यह स्पष्ट कर दिया था कि वह निजी हैसियत से इस मुद्दे पर पैरवी के लिए आए हैं। रोहतगी ने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा कि फोर स्टार बार मालिक उनके पुराने मुवक्किल रहे हैं। उन्हें मेरी मदद की दरकार थी। उन्होंने कहा कि केरल सरकार आखिर एक वकील से क्यों डरी हुई है। मैं नहीं होता तो कोई वकील उनकी ओर से खड़ा होता। इसमें गलत क्या है।

आम तौर पर अटॉर्नी जनरल का काम केंद्र सरकार के लिए सुप्रीम कोर्ट में पैरवी करना होता है और राज्य सरकार के अनुरोध पर वह राज्य की सरकारों की ओर से भी पैरवी करती है।

वहीं, कांग्रेस नीत राज्य सरकार इस मुद्दे पर रोहतगी के बयान से संतुष्ट नहीं है। उसका मानना है कि केंद्र को राज्य सरकार का साथ देना चाहिए, जो शराब बंदी की ओर चरमबद्ध तरीके से बढ़ रहा है।

केंद्रीय कानूनमंत्री सदानंद गौड़ा ने एनडीटीवी से कहा कि यह केस केंद्र सरकार के खिलाफ नहीं है, जहां पर अटॉर्नी जनरल नहीं खड़े हो सकते थे। इसलिए अटॉर्नी जनरल ने एक निजी संस्था के पक्ष में पैरवी के लिए इजाजत मांगी थी।

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जहां रोहतगी इसे मामूली मुद्दा बता रहे हैं वहीं केरल सरकार की नज़र में यह निरुत्साह करने वाला और गैर-वाजिब कदम है।