प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:
मध्य प्रदेश के पन्ना बाघ अभयराण्य के 90 स्क्वायर किलोमीटर के दायरे वाले क्षेत्र में नुकसान की आशंका के मद्देनजर राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने केन-बेतवा नदी जोड़ परियोजना के निर्माण पूर्व और निर्माण पश्चात संबंधी कार्यों की निगरानी के लिए एक समिति के गठन का सुझाव दिया है.
इसने तीन अभयारण्यों मध्य प्रदेश के नौरादेही और रानी दुर्गावती वन्यजीव अभयारण्य और उत्तर प्रदेश के रानीपुर वन्यजीव अभयारण्य को ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ के अंतर्गत लाने का सुझाव दिया है.
एनटीसीए ने मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के मुख्य वन्यजीव वार्डन को लिखे पत्र में कहा, ‘‘संबंधित राज्य सरकारों के कम से कम मूल या संवेदनशील बाघ निवास स्थलों की अधिसूचना जारी करने तक इन कार्यों को शुरू करने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए. राज्य इस प्रक्रिया में तेजी लाएं क्योंकि परियोजना से दोनों को लाभ मिलेगा.’’ इसके अनुसार निर्माण पूर्व कार्य और निर्माण के दौरान एवं निर्माण के बाद के चरणों की निगरानी के लिए एक समिति गठित की जाएगी.
पत्र के अनुसार समिति में क्षेत्रीय कार्यालय, नागपुर के सहायक महानिरीक्षक (एनटीसीए) और यहां के मुख्यालय, भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून के प्रतिनिधि, पन्ना बाघ अभयराण्य के उप निदेशक, ग्लोबल टाइगर फोरम के प्रतिनिधि और बाघों के लिए काम करने वाला एक एनजीओ शामिल होगा. वन्यजीव कार्यकर्ता अजय दुबे की ओर से आरटीआई के जरिए दायर एक सवाल के जवाब में पत्र की एक प्रति मिली थी.
एनटीसीए ने एक प्रमुख मुद्दे का हवाला देते हुए कहा, ‘‘इससे संभावित बाघ निवास स्थल सहित बाघ अभयारण्य के 90 किलोमीटर के दायरे का क्षेत्र जलमग्न हो जाएगा.’’
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
इसने तीन अभयारण्यों मध्य प्रदेश के नौरादेही और रानी दुर्गावती वन्यजीव अभयारण्य और उत्तर प्रदेश के रानीपुर वन्यजीव अभयारण्य को ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ के अंतर्गत लाने का सुझाव दिया है.
एनटीसीए ने मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के मुख्य वन्यजीव वार्डन को लिखे पत्र में कहा, ‘‘संबंधित राज्य सरकारों के कम से कम मूल या संवेदनशील बाघ निवास स्थलों की अधिसूचना जारी करने तक इन कार्यों को शुरू करने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए. राज्य इस प्रक्रिया में तेजी लाएं क्योंकि परियोजना से दोनों को लाभ मिलेगा.’’ इसके अनुसार निर्माण पूर्व कार्य और निर्माण के दौरान एवं निर्माण के बाद के चरणों की निगरानी के लिए एक समिति गठित की जाएगी.
पत्र के अनुसार समिति में क्षेत्रीय कार्यालय, नागपुर के सहायक महानिरीक्षक (एनटीसीए) और यहां के मुख्यालय, भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून के प्रतिनिधि, पन्ना बाघ अभयराण्य के उप निदेशक, ग्लोबल टाइगर फोरम के प्रतिनिधि और बाघों के लिए काम करने वाला एक एनजीओ शामिल होगा. वन्यजीव कार्यकर्ता अजय दुबे की ओर से आरटीआई के जरिए दायर एक सवाल के जवाब में पत्र की एक प्रति मिली थी.
एनटीसीए ने एक प्रमुख मुद्दे का हवाला देते हुए कहा, ‘‘इससे संभावित बाघ निवास स्थल सहित बाघ अभयारण्य के 90 किलोमीटर के दायरे का क्षेत्र जलमग्न हो जाएगा.’’
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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