कठुआ गैंगरेप: SC ने निचली अदालत के ट्रायल पर लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट ने आरोपियों के केस ट्रांसफर करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि आरोपियों को भी अपना पक्ष रखने का अधिकार है.

कठुआ गैंगरेप: SC ने निचली अदालत के ट्रायल पर लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

कठुआ गैंग रेप मामले में सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत में चल रही सुनवाई पर रोक लगा दी है. इस मामले में अगली सुनवाई 7 मई को होगी.  सुप्रीम कोर्ट ने आरोपियों के केस ट्रांसफर करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि आरोपियों को भी अपना पक्ष रखने का अधिकार है. कोर्ट ने आरोपियों को अपना जवाब दाखिल करने के लिए 7 मई तक का समय दिया.

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सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच की मांग पर आरोपियों की दलील सुनने के बाद लेगा. कठुआ गैंग रेप मामले में पीड़ित की पिता की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को नोटिस जारी किया था. पीड़ित के पिता सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर केस को जम्मू कश्मीर से बाहर ट्रांसफर करने की मांग की है.

याचिका में मांग की गई है कि केस को चंडीगढ़ ट्रांसफर कर दिया जाए क्योंकि जम्मू में केस का ट्रायल सही से नहीं हो पाएगा. ये भी मांग की गई है कि नेताओं को नाबालिग़ आरोपी से मिलने से रोका जाए. याचिका में ये भी कहा गया है कि जांच की प्रगति रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट के सामने रखी जाए. याचिका में ये भी मांग की गई है कि कठुआ की अदालत तब तक इस मामले की सुनवाई न करे जब तक सुप्रीम कोर्ट केस को ट्रान्सफर करने को लेकर दाखिल याचिका का निपटारा न कर दें.

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वहीं मुख्य आरोपी संजी राम व उसके बेटे विशाल की याचिका पर भी सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा. आरोपी संजी राम ने याचिका में केस को जम्मू-कश्मीर से ट्रांसफ़र करने का विरोध किया और कहा कि केवल शिकायतकर्ता की सुविधा के लिये केस को जम्मू से बाहर ट्रांसफर नहीं किया जा सकता.
याचिका में ये भी कहा कि उसे गलत तरीके से फंसाया गया है. केस को जम्मू से किसी दूसरे राज्य में ट्रांसफ़र करने से पहले उसका पक्ष भी सुना जाए.

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याचिका में पीड़ित परिवार, पीड़ित की स्थानीय वकील दीपिका सिंह और उनके परिवार के सुरक्षा मुहैया कराई जाए. याचिका में मांग की गई है कि जुवेनाइल होम जहां नाबालिग़ आरोपी है वहां किसी भी अनधिकृत व्यक्ति को नाबालिग़ आरोपी से न मिलने दिया जाए. याचिका में कहा गया हैं कि इस मामले की जांच राज्य सरकार द्वारा जारी रहे और अगर जरूरत पड़े तो जांच की रिपोर्ट को कोर्ट के सामने रखा जाए और कोर्ट जांच की खुद निगरानी करे ताकि पारदर्शी और निष्पक्ष जांच हो सके.

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