चेन्नई:
संप्रग की प्रमुख सहयोगी द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) ने आज रक्षा राज्यमंत्री एमएम पल्लम राजू के बयान पर आपत्ति जताते हुए केंद्र पर तमिलनाडु की भावनाओं से खिलवाड़ करने का आरोप लगाया। पल्लम राजू ने कहा था कि भारत श्रीलंकाई रक्षाकर्मियों को प्रशिक्षण देना जारी रखेगा।
द्रमुक प्रमुख एम करुणानिधि ने एक बयान में कहा, (राजू के) इस जवाब से समझा जा सकता है कि केंद्र तमिलनाडु और उसके लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचा रहा है। श्रीलंकाई रक्षाकर्मियों को प्रशिक्षण देने के मामले में तमिलनाडु में राजनैतिक पार्टियों के विरोध का सामना कर रहे राजू ने सोमवार को कहा था कि यह प्रशिक्षण जारी रहेगा।
राजू ने कहा था, श्रीलंका एक मित्र देश है और यह प्रशिक्षण जारी रहेगा। कई बार स्थानीय सरकारों द्वारा कुछ आपत्तियां जताई जाती हैं, जिन्हें हमें ध्यान में रखना होता है।
द्रमुख प्रमुख ने कहा कि लिट्टे के खिलाफ 2009 में लड़ाई के बाद श्रीलंका, चीन और पाकिस्तान को भारत से ज्यादा करीबी मित्र मान रहा था। 29 अगस्त को चीनी रक्षामंत्री के श्रीलंका आने का कार्यक्रम तय था। इसके अलावा एक उच्चस्तरीय चीनी प्रतिनिधिमंडल ने भी 15 सितंबर को वहां आना था। चीन ने श्रीलंका में 36 हजार करोड़ की 14 परियोजनाएं तो लगाई ही हैं, साथ ही उसने विमान खरीदने के लिए एक समझौता भी किया है।
यह कहते हुए करुणानिधि ने सवाल उठाया, भारत श्रीलंका को अपना मित्र कैसे बता सकता है, जबकि चीन उसे भारत से छह गुना ज्यादा मदद मुहैया करा रहा है। इस एकपक्षीय संबंध को दोस्ती कैसे कहा जा सकता है? राजू के बयान पर प्रधानमंत्री के हस्तक्षेप की मांग करते हुए करुणानिधि ने कहा कि तमिलनाडु के वेलिंग्टन में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे दो श्रीलंकाई अफसरों को वापस भेजा जाना चाहिए और यहां श्रीलंका के किसी रक्षाकर्मी का प्रशिक्षण नहीं होना चाहिए।
द्रमुक प्रमुख ने तमिलनाडु में विरोध के बावजूद श्रीलंकाई रक्षाकर्मियों के प्रशिक्षण को जारी रखने के लिए संप्रग सरकार की आलोचना की और कहा कि भारत को तुरंत ही ऐसे अभ्यास बंद करने चाहिए।
द्रमुक प्रमुख एम करुणानिधि ने एक बयान में कहा, (राजू के) इस जवाब से समझा जा सकता है कि केंद्र तमिलनाडु और उसके लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचा रहा है। श्रीलंकाई रक्षाकर्मियों को प्रशिक्षण देने के मामले में तमिलनाडु में राजनैतिक पार्टियों के विरोध का सामना कर रहे राजू ने सोमवार को कहा था कि यह प्रशिक्षण जारी रहेगा।
राजू ने कहा था, श्रीलंका एक मित्र देश है और यह प्रशिक्षण जारी रहेगा। कई बार स्थानीय सरकारों द्वारा कुछ आपत्तियां जताई जाती हैं, जिन्हें हमें ध्यान में रखना होता है।
द्रमुख प्रमुख ने कहा कि लिट्टे के खिलाफ 2009 में लड़ाई के बाद श्रीलंका, चीन और पाकिस्तान को भारत से ज्यादा करीबी मित्र मान रहा था। 29 अगस्त को चीनी रक्षामंत्री के श्रीलंका आने का कार्यक्रम तय था। इसके अलावा एक उच्चस्तरीय चीनी प्रतिनिधिमंडल ने भी 15 सितंबर को वहां आना था। चीन ने श्रीलंका में 36 हजार करोड़ की 14 परियोजनाएं तो लगाई ही हैं, साथ ही उसने विमान खरीदने के लिए एक समझौता भी किया है।
यह कहते हुए करुणानिधि ने सवाल उठाया, भारत श्रीलंका को अपना मित्र कैसे बता सकता है, जबकि चीन उसे भारत से छह गुना ज्यादा मदद मुहैया करा रहा है। इस एकपक्षीय संबंध को दोस्ती कैसे कहा जा सकता है? राजू के बयान पर प्रधानमंत्री के हस्तक्षेप की मांग करते हुए करुणानिधि ने कहा कि तमिलनाडु के वेलिंग्टन में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे दो श्रीलंकाई अफसरों को वापस भेजा जाना चाहिए और यहां श्रीलंका के किसी रक्षाकर्मी का प्रशिक्षण नहीं होना चाहिए।
द्रमुक प्रमुख ने तमिलनाडु में विरोध के बावजूद श्रीलंकाई रक्षाकर्मियों के प्रशिक्षण को जारी रखने के लिए संप्रग सरकार की आलोचना की और कहा कि भारत को तुरंत ही ऐसे अभ्यास बंद करने चाहिए।
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