बेंगलुरु:
सरकारी रुपये के गबन के मामले में आरोपी नंबर एक यानी बेंगलुरु के राजराजेश्वरी नगर के मौजूद विधायक की गिरेबान तक पहुंचने की हिम्मत अब तक लोकायुक्त पुलिस नहीं जुटा पाई है। हालांकि इसी मामले में आरोपी नंबर दो और तीन यानी स्थानीय नगरपालिका के एक एग्जीक्यूटिव इंजीनियर और उसके सहयोगी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है।
एनडीटीवी इंडिया ने कर्नाटक के लोकयुक्त जस्टिस डॉ. वाई भास्कर राव से इस बारे में पूछा, आखिर इसकी वजह क्या है कि मुख्य आरोपी को अब तक गिरफ्तार नहीं किया गया है। जस्टिस डॉ. भास्कर राव का कहना था कि जांच चल रही है और इसके पूरे होने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। उनका ये भी कहना था कि तीन में से दो लोग तो गिरफ्तार कर ही लिए गए हैं। यानी सत्तारूढ़ कांग्रेस के विधायक की गिरफ्तारी क्यों नहीं की गई, इस सवाल का उनके पास कोई ठोस जवाब नहीं था।
दरअसल शहरी विकास योजना के तहत 45 करोड़ रुपये के काम को राजा राजेश्वरी नगर विधानसभा क्षेत्र के लिए मंज़ूरी दी गई थी। लोकयुक्त पुलिस में दर्ज एफआईआर नंबर 25/2015 के मुताबिक़ बीबीएमपी के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर (प्लानिंग) विजय कुमार ने अपने सहयोगियों के साथ एमएलए मुनिरत्ना के साथ मिलकर फर्जी बिल के ज़रिये करोड़ो रुपये निकाले।
इन लोगों ने इस विधानसभा क्षेत्र में लोगों को सुविधा पहुंचाने के लिए 20 ऐसे सिविल कंस्ट्रक्शन कागजों पर दिखाए जो या तो फ़र्ज़ी थे या पहले से ही मौजूद थे। इन सभी के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधन कानून के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। लेकिन सवाल ये उठता है कि सरकारी ख़ज़ाने में ग़बन के इस मामले में सबूतों के बावजूद अब तक विधायक को गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया है। वो भी तब जबकि मुनिरत्ना को आरोपी नंबर एक बनाया गया है। क्या इसलिए कि वो सत्ताधारी पार्टी का विधायक है?
एनडीटीवी इंडिया ने कर्नाटक के लोकयुक्त जस्टिस डॉ. वाई भास्कर राव से इस बारे में पूछा, आखिर इसकी वजह क्या है कि मुख्य आरोपी को अब तक गिरफ्तार नहीं किया गया है। जस्टिस डॉ. भास्कर राव का कहना था कि जांच चल रही है और इसके पूरे होने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। उनका ये भी कहना था कि तीन में से दो लोग तो गिरफ्तार कर ही लिए गए हैं। यानी सत्तारूढ़ कांग्रेस के विधायक की गिरफ्तारी क्यों नहीं की गई, इस सवाल का उनके पास कोई ठोस जवाब नहीं था।
दरअसल शहरी विकास योजना के तहत 45 करोड़ रुपये के काम को राजा राजेश्वरी नगर विधानसभा क्षेत्र के लिए मंज़ूरी दी गई थी। लोकयुक्त पुलिस में दर्ज एफआईआर नंबर 25/2015 के मुताबिक़ बीबीएमपी के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर (प्लानिंग) विजय कुमार ने अपने सहयोगियों के साथ एमएलए मुनिरत्ना के साथ मिलकर फर्जी बिल के ज़रिये करोड़ो रुपये निकाले।
इन लोगों ने इस विधानसभा क्षेत्र में लोगों को सुविधा पहुंचाने के लिए 20 ऐसे सिविल कंस्ट्रक्शन कागजों पर दिखाए जो या तो फ़र्ज़ी थे या पहले से ही मौजूद थे। इन सभी के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधन कानून के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। लेकिन सवाल ये उठता है कि सरकारी ख़ज़ाने में ग़बन के इस मामले में सबूतों के बावजूद अब तक विधायक को गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया है। वो भी तब जबकि मुनिरत्ना को आरोपी नंबर एक बनाया गया है। क्या इसलिए कि वो सत्ताधारी पार्टी का विधायक है?