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This Article is From Jul 16, 2016

कर्नाटक : पुलिस अधिकारी की अप्राकृतिक मौत की जांच के लिए न्यायिक आयोग गठित

कर्नाटक : पुलिस अधिकारी की अप्राकृतिक मौत की जांच के लिए न्यायिक आयोग गठित
गणपति के पिता और भाई के मुताबिक वे डिप्रेशन के शिकार थे
बेंगलुरु: सिद्धरमैया सरकार ने पुलिस अधिकारी गणपति की अप्राकृतिक मौत की जांच के लिए कर्नाटक हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस के.एन. केशव नारायण की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन कर दिया है। इस आयोग को छः महीने के अंदर अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपने का निर्देश दिया गया है।

हालांकि कर्नाटक की प्रमुख विपक्षी पार्टी बीजेपी इसका विरोध कर रही है। बीजेपी इस मामले में सीबीआई जांच की मांग कर रही है। अपनी मांग को लेकर आक्रामक तेवर दिखाते विपक्ष ने 5 दिनों तक विधानसभा की कार्यवाही नहीं चलने दी। यही नहीं, बीजेपी और जेडीएस के नेताओं ने दो रातें विधानसभा में सो कर भी गुज़ारीं।

मंगलौर के आईजी दफ़्तर में नियुक्त डीवाईएसपी एम.के. गणपति ने इसी महीने की 7 तारीख़ को कर्नाटक के मडिकेरी के एक लॉज में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। लेकिन आत्महत्या से पहले उन्होंने एक टीवी स्टूडियो में कहा था कि अगर उन्हें कुछ होता है तो इसके लिए राज्य के पूर्व गृहमंत्री के.जे. जॉर्ज के साथ-साथ लोकायुक्त के आईजी प्रणब मोहोन्ती और खुफिया विभाग के प्रमुख ए.एम. प्रसाद को ज़िम्मेदार माना जाए।

तभी से विपक्ष के.जे. जॉर्ज के इस्तीफे की मांग पर अड़ा है, जो फिलहाल बेंगलुरु के विकास मंत्री हैं। मांग दोनों पुलिस अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की भी हो रही है और मृतक गणपति के बेटे व पत्नी की तरफ से स्थानीय कोर्ट में दाखिल अर्ज़ी में भी इसकी मांग की गई है।

हालांकि गणपति के पिता और भाई के मुताबिक गणपति डिप्रेशन के शिकार थे और उनका इलाज चल रहा था। लेकिन गणपति की पत्नी के मुताबिक जॉर्ज और पुलिस अधिकारियों की तरफ से बनाए गए दबाव की वजह से उन्होंने ख़ुदकुशी की।

गणपति के ख़िलाफ़ एक फर्जी एनकाउंटर के साथ-साथ बरामद रकम के गबन के मामलों में विभागीय जांच चल रही थी।

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