छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने महात्मा गांधी के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग करने के आरोपी कालीचरण महाराज को शुक्रवार को जमानत प्रदान कर दी. अधिवक्ता किशोर भादुड़ी ने शुक्रवार को बताया कि उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने महात्मा गांधी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने के आरोपी कालीचरण धनंजय सरग उर्फ़ कालीचरण महाराज की जमानत याचिका स्वीकार कर ली है. न्यायालय ने कालीचरण को पचास-पचास हजार रुपये के दो ‘साल्वेंट' और एक लाख रुपये के व्यक्तिगत बांड प्रस्तुत करने पर जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है.
भादुड़ी ने बताया कि कालीचरण महाराज की जमानत याचिका पर न्यायमूर्ति अरविन्द सिंह चंदेल की एकल पीठ के समक्ष शुक्रवार को सुनवाई हुई. देर शाम को उच्च न्यायालय ने कालीचरण को जमानत दे दी. अधिवक्ता ने बताया कि उच्च न्यायालय में बहस के दौरान कहा गया कि कालीचरण द्वारा महात्मा गांधी के खिलाफ दिया भाषण उनके निजी विचार हैं, जो किसी अपराध का गठन नहीं करता है. इसमें कहा गया कि इस मामले में आरोपपत्र पहले ही दाखिल किया जा चुका है, आवेदक 30 दिसम्बर 2021 से जेल में है. यह भी कहा गया कि आवेदक को नियमित जमानत का लाभ दिया जाना चाहिए.
राज्य शासन की ओर से पेश अतिरिक्त महाधिवक्ता सुनील ओटवानी ने जमानत अर्जी का विरोध करते हुए दलील दी कि कालीचरण ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग किया है. उन्होंने कहा कि अपराध की प्रकृति को देखते हुए उनकी जमानत अर्जी ख़ारिज किए जाने योग्य है. उन्होंने बताया कि उच्च न्यायालय में दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति अरविन्द सिंह चंदेल ने कालीचरण की जमानत याचिका स्वीकार कर ली और पचास-पचास हजार रुपये के दो ‘सॉल्वेंट' तथा एक लाख रुपये के व्यक्तिगत बांड प्रस्तुत करने पर उन्हें जमानत पर रिहा करने का आदेश दे दिया.
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में आयोजित एक धर्म संसद में 26 दिसंबर वर्ष 2021 को अकोला (महाराष्ट्र) निवासी कालीचरण महाराज ने भाषण के दौरान राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के खिलाफ कथित तौर पर आपत्तिजनक और अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया था. इसके बाद कालीचरण के खिलाफ रायपुर के टिकरापारा थाने में मामला दर्ज किया गया था. इस घटना के बाद से कालीचरण फरार हो गया था. बाद में 30 दिसंबर को छत्तीसगढ़ की पुलिस ने उन्हें मध्यप्रदेश के खजुराहो से गिरफ्तार कर लिया था. निचली अदालत से जमानत याचिका ख़ारिज होने के बाद कालीचरण के अधिवक्ता किशोर भादुड़ी और मेहल जेठानी ने उच्च न्यायालय में जमानत याचिका दाखिल की थी.
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