बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को राहत, बने रहेंगे महू क्षेत्र के विधायक

हाईकोर्ट की इंदौर पीठ ने वर्ष 2013 के चुनावों में विधायक के रूप में उनके निर्वाचन को शून्य घोषित करने की गुहार वाली याचिका खारिज कर दी.

बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को राहत, बने रहेंगे महू क्षेत्र के विधायक

बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ( फाइल फोटो )

इंदौर:

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और इंदौर जिले के महू क्षेत्र के विधायक कैलाश विजयवर्गीय को आज मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय से बड़ी राहत मिली. हाईकोर्ट की इंदौर पीठ ने वर्ष 2013 के चुनावों में विधायक के रूप में उनके निर्वाचन को शून्य घोषित करने की गुहार वाली याचिका खारिज कर दी. न्यायमूर्ति आलोक वर्मा ने विजयवर्गीय के निकटतम चुनावी प्रतिद्वंद्वी और कांग्रेस उम्मीदवार अंतरसिंह दरबार की ओर से दायर याचिका को नामंजूर करने का फैसला सुनाया. अदालत ने सितम्बर में इस मामले की सुनवाई पूरी कर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. दरबार ने अपनी याचिका में कहा था कि विजयवर्गीय ने आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए भ्रष्ट तरीकों से चुनाव जीता था. लिहाजा महू के विधायक के रूप में चार वर्ष पहले के उनके निर्वाचन को शून्य घोषित कर दिया जाये.

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पराजित कांग्रेस उम्मीदवार ने अपनी याचिका में आरोप लगाया कि विजयवर्गीय ने चुनाव प्रचार के दौरान मतदाताओं को लुभाने के लिये महिलाओं को नोट वितरित किये और मोहर्रम के जुलूस में मैडल-ट्रॉफियां बांटीं. आरोप यह भी था कि चुनावों के दौरान भाजपा उम्मीदवार के प्रतिनिधि की ओर से मतदाताओं को शराब बांटी गयी.

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विजयवर्गीय के वकील शेखर भार्गव ने संवाददाताओं से कहा कि उनके मुवक्किल के खिलाफ दरबार की ओर से लगाये गये आरोप अदालत में साबित नहीं हो सके. मामले में करीब 100 तारीखों पर सुनवाई हुई. विजयवर्गीय ने वर्ष 2013 के विधानसभा चुनावों में दरबार को 12,216 वोट से हराया था. इसके साथ ही, उन्होंने इंदौर जिले की अलग-अलग सीटों से लगातार छह बार विधानसभा चुनाव जीतकर अजेय रहने का रिकॉर्ड कायम किया था. दिलचस्प बात है कि वर्ष 2008 के विधानसभा चुनावों में भी विजयवर्गीय और दरबार महू क्षेत्र में ही आमने-सामने थे. इन चुनावों में विजयवर्गीय ने दरबार को 9,791 मतों से पटखनी दी थी.


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