अंतरजातीय शादी पर सलाह मांगे जाने से असमंजस में जस्टिस काटजू, बोले - हाथों को खून से रंगने से कैसे बचाऊं?

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश रह चुके मार्कन्डेय काटजू ने अपनी ज़िन्दगी में कई फैसले किए होंगे, लेकिन उनके मुताबिक, आज वह एक अंतरजातीय विवाह को लेकर असमंजस में हैं.

अंतरजातीय शादी पर सलाह मांगे जाने से असमंजस में जस्टिस काटजू, बोले - हाथों को खून से रंगने से कैसे बचाऊं?

सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस मार्कंडेय काटजू की फाइल फोटो.

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश रह चुके मार्कन्डेय काटजू ने अपनी ज़िन्दगी में कई फैसले किए होंगे, लेकिन उनके मुताबिक, आज वह एक अंतरजातीय विवाह को लेकर असमंजस में हैं. मार्कन्डेय काटजू से एक ऐसे पढ़े-लिखे युगल ने सलाह मांगी है, जो शादी करना चाहते हैं, लेकिन अलग-अलग जाति से ताल्लुक रखते हैं, और लड़की के माता-पिता विवाह के सख्त खिलाफ हैं.सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश के अनुसार, बहुत-से युवक-युवतियां उनसे शादी को लेकर सलाह मांगते रहे हैं, जब वे अलग-अलग जातियों से हों, और एक-दूसरे से प्यार करते हों, लेकिन उनके माता-पिता (या किसी एक के माता-पिता) शादी के सख्त खिलाफ हों. मार्कन्डेय काटजू के मुताबिक, चूंकि युवक-युवती ने उनके प्रति विश्वास व्यक्त किया है, इसलिए उन्हें सही सलाह ही देनी चाहिए. लेकिन हाल ही में उन्हें फेसबुक पर एक संदेश मिला, जिसमें अनुसूचित जाति का एक युवक और अन्य पिछड़े वर्ग की एक लड़की एक-दूसरे से मोहब्बत करते हैं, और शादी करना चाहते हैं, लेकिन युवती के माता-पिता शादी के सख्त खिलाफ हैं.

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दोनों एक ही शहर में सरकारी अस्पताल में डॉक्टर के रूप में नौकरी भी करते हैं, लेकिन लड़की के माता-पिता के अनुसार, इस शादी से समाज में उनकी इज़्ज़त पर हर्फ आएगा.सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश के अनुसार, "मेरी सोच यह कहती है कि ऐसी स्थिति में विद्रोह करना सही है, क्योंकि जाति व्यवस्था हमारे समाज के लिए श्राप है, और यह जितना जल्दी खत्म हो, उतना बेहतर होगा... अंतरजातीय और अंतरधर्म विवाहों से जातिवाद को खत्म करने में सहायता मिलती है, सो, यह देश के लिए अच्छे हैं...

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लेकिन दूसरी ओर, वास्तविकता को भी देखा जाना ज़रूरी है... इस मामले में लड़की के माता-पिता उच्च रक्तचाप और अन्य रोगों से ग्रसित हैं, और अगर उनकी बेटी एक दलित युवक से शादी कर लेती है, तो यह उनके लिए झटका होगा, जिससे उन्हें दिल का दौरा पड़ सकता है, और उनकी मौत हो सकती है, या वे खुदकुशी कर सकते हैं..."जस्टिस मार्कन्डेय काटजू के मुताबिक, उनकी कशमकश यही है, अगर मैं युवक-युवती को शादी करने का सुझाव देता हूं, तो मेरे हाथ खून से रंग सकते हैं... सो, क्या सलाह दूं मैं उन्हें...? अपने सिद्धांतों के विरुद्ध जाऊं, या अपने हाथों को खून से रंगने से बचाऊं...?"

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