पत्रकार राणा अय्यूब (Journalist Rana Ayyub) ने मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) मामले के आरोपों को बदनाम करने की साजिश के लिए चलाए जा रहे अभियान के रूप में खारिज कर दिया है. उनके खिलाफ राहत कार्यों के लिए एकत्रित राशि के दुरुपयोग का आरोप है. प्रवर्तन निदेशालय ने सत्तारूढ़ भाजपा सरकार (BJP Government) की मुखर आलोचक की 1.77 करोड़ रुपये की राशि की जब्त की है, जिसके एक दिन बाद उन्होंने कहा, "विश्वास है कि मेरे खिलाफ लगाए गए आरोप किसी भी निष्पक्ष और ईमानदार जांच का सामना नहीं करेंगे."
ईडी के सूत्रों के अनुसार, धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत अय्यूब और उनके परिवार के नाम पर एफडी और बैंक खातों को संलग्न करने के लिए एक अस्थायी आदेश जारी किया गया था. किसी संपत्ति को संलग्न करने का अर्थ है कि इसे स्थानांतरित या परिवर्तित नहीं किया जा सकता है.
अय्यूब ने सबस्टैक और ट्विटर पर पोस्ट अपने बयान में कहा "यह प्रासंगिक है कि मुझे या दो नामित बैंक खातों द्वारा कोई विदेशी दान प्राप्त नहीं हुआ था. सभी दान पहले केटो के बैंक खाते में प्राप्त हुए थे, जो भारतीय मुद्रा में नामित खातों में राहत अभियान के लिए राशि भेजेंगे. केटो के लिए मेरे निर्देश थे कि विदेशी मुद्रा में प्राप्त कोई भी पैसा, देने वाले को वापस कर दिया जाना चाहिए और राहत कार्य केवल घरेलू योगदान से चलाया जाना चाहिए."
ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पत्रकार राणा अय्यूब की 1.77 करोड़ रुपये से अधिक धनराशि कुर्क की
उन्होंने कहा, "...दिसंबर 2021 में मुझे प्रवर्तन निदेशालय के दिल्ली क्षेत्रीय-द्वितीय कार्यालय से धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत समन मिला. मैंने खुद को अधिकारियों के सामने प्रस्तुत किया और एक बार फिर से सभी जानकारी साझा की जो उन्होंने मेरे बारे में पूछी. मुझे आश्चर्य था कि पूछताछ खासकर विदेशी मीडिया घरानों से मेरी पत्रकारिता की आय पर ज्यादा केंद्रित थी."
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उन्होंने अपने बयान में लिखा, "मैंने आयकर विभाग और ईडी के दो जोनल कार्यालयों के समक्ष स्पष्ट कहा है कि राहत अभियान के किसी भी हिस्से का उपयोग किसी अन्य उद्देश्य के लिए नहीं किया गया है. यह उचित है कि फंड का एकमात्र अप्रयुक्त हिस्सा यानी 50 लाख रुपये की एफडी का उपयोग नहीं किया जा सका क्योंकि इसे आयकर विभाग द्वारा 07.08.2021 से 07.02.2022 तक संलग्न किया गया था."
अय्यूब के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला एक एफआईआर पर आधारित है. एफआईआर को 'हिंदू आईटी सेल' नामक एक एनजीओ के संस्थापक और गाजियाबाद के इंदिरापुरम में रहने वाले विकास सांकृत्यायन ने दर्ज करवाया था.
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