जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ (जेएनयूएसयू) ने दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया है, जो जेएनयू प्रशासन को शीतकालीन सत्र 2020 में पंजीकरण के लिए छात्रों पर देरी के कारण शुल्क लगाने (लेट फीस) से रोकने के लिए अदालत के निर्देश की मांग कर रहा है. जेएनयूएसयू अध्यक्ष आइशी घोष, उपाध्यक्ष साकेत मून और अन्य सदस्यों द्वारा यह याचिका दायर की गई है. दलील में नए हॉस्टल मैनुअल को रद्द करने का अनुरोध भी किया गया है, जिसमें फीस बढ़ोतरी का प्रावधान है. वहीं मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक' ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्रों की मूल मांग मान ली गई है और अब कुलपति एम. जगदीश कुमार को हटाने की मांग उचित नहीं है. पोखरियाल ने साक्षात्कार में कहा कि विश्वविद्यालय में स्थिति अब सामान्य हो रही है.
उन्होंने कहा, 'जेएनयू के करीब 80 प्रतिशत छात्रों ने अगले सेमेस्टर के लिए पंजीकरण करा लिया है. किसी को भी उन्हें परेशान नहीं करना चाहिए, जो पढ़ना चाहते हैं. अगर हमारे विश्वविद्यालय को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में उत्कृष्टता हासिल करनी है तो इन मुद्दों से ऊपर उठना होगा.' उन्होंने कहा, 'छात्रावास की फीस बढ़ोतरी को लेकर छात्रों की मूल मांग मान ली गई है. जेएनयू के कुलपति को हटाने की मांग अब उचित नहीं है, किसी को भी हटाना कोई समाधान नहीं है.' पोखरियाल ने कहा कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) का उद्देश्य किसी की नागरिकता छीनना नहीं है. साथ ही उन्होंने छात्रों से 'उन लोगों को यह बात समझाने की अपील की, जो मामले पर जनता को गुमराह कर रहे हैं और तुच्छ राजनीति में लिप्त हैं.'
गौरतलब है कि जेएनयू में फीस बढ़ोत्तरी के मुद्दे पर छात्रों का कई दिनों से आंदोलन चल रहा था लेकिन कुछ दिन पहले छात्रों के दो गुटों के बीच मारपीट और हिंसा की घटना हुई जिसमें कई घायल हो गए. छात्रों का आरोप था कि बाहरी लोगों ने आकर कैंपस में मारपीट की है. देखते ही देखते यह घटना पूरे देश में सुर्खी बन गया और इसके विरोध में कई दूसरे विश्वविद्यालयों में प्रदर्शन शुरू हो गए. फिलहाल इस मामले में अब दिल्ली पुलिस ने कई लोगों की पहचान की है और छात्रों से भी पूछताछ जारी है.
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