JNU ने इतिहासकार रोमिला थापर से मांगा बायोडाटा, शिक्षक संघ ने बताया राजनीति से प्रेरित कदम

जवाहरलाल नेहरू शिक्षक संघ (जेएनयूटीए) ने विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से इतिहासकार रोमिला थापर से प्रोफेसर एमेरिटस पद पर बने रहने के लिए बायोडाटा मांगने के फैसले को ‘राजनीतिक रूप से प्रेरित’ बताया.

JNU ने इतिहासकार रोमिला थापर से मांगा बायोडाटा, शिक्षक संघ ने बताया राजनीति से प्रेरित कदम

रोमिला थापर (फाइल फोटो)

नई दिल्ली :

जवाहरलाल नेहरू शिक्षक संघ (जेएनयूटीए) ने विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से इतिहासकार रोमिला थापर से प्रोफेसर एमेरिटस पद पर बने रहने के लिए बायोडाटा मांगने के फैसले को ‘राजनीतिक रूप से प्रेरित' बताया. जेएनयूटीए के बयान के बाद विश्वविद्यालय ने कहा कि वह जेएनयू में प्रोफेसर एमेरिटस के पद पर नियुक्ति के लिए अपने अध्यादेश का पालन कर रहा है. उसने कहा कि अध्यादेश के मुताबिक, विश्वविद्यालय के लिए यह जरूरी है वह उन सभी को पत्र लिखे जो 75 साल की उम्र पार कर चुके हैं ताकि उनकी उपलब्धता और विश्वविद्यालय के साथ उनके संबंध को जारी रखने की उनकी इच्छा का पता चल सके. यह पत्र सिर्फ उन प्रोफेसर एमेरिटस को लिखे गए हैं जो इस श्रेणी में आते हैं. 

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विश्वविद्यालय ने स्पष्ट किया कि उसने यह पत्र उनकी सेवा को खत्म करने के लिए नहीं बल्कि विश्वविद्यालय की सर्वोच्च वैधानिक निकाय कार्यकारिणी परिषद द्वारा समीक्षा करने की जानकारी देने के लिए लिखा है और ऐसा अन्य प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयें जैसे एमआईटी और प्रिसंटन विश्वविद्यालय में भी होता है. थापर ने संपर्क करने पर पुष्टि की कि उन्हें जुलाई में पत्र मिला था और उन्होंने इसका जवाब दिया है ‘ यह जीवन भर का सम्मान है.' उन्होंने और जानकारी नहीं दी. बहरहाल, जेएनयूटीए ने कहा कि यह एक ‘‘जानबूझकर किया गया प्रयास है और उन लोगों को बेइज्जत करना है जो वर्तमान प्रशासन के आलोचक हैं.'' उसने इस कदम की औपचारिक वापसी और थापर के लिए व्यक्तिगत माफी जारी करने की मांग की. 

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एसोसिएशन ने प्रशासन द्वारा थापर को अपने ‘ओछे पत्र' के माध्यम से जेएनयू के शिक्षण और सीखने की परंपराओं को ‘बदनाम' करने के प्रयासों पर नाराजगी व्यक्त की. जेएनयूए ने कहा कि प्रोफेसर थापर का अपमान राजनीतिक रूप से प्रेरित एक और कदम है. शिक्षक संघ ने कहा कि थापर और जेएनयू के प्रत्येक अन्य प्रोफेसर एमेरिटस / एमिरिटा, को एक संस्थान के तौर पर जेएनयू के निर्माण में उनके योगदान के लिए उन्हें इस पद पर जीवन भर के लिए नामित किया गया है. विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार ने जुलाई में थापर को पत्र लिखकर बायोडाटा देने को कहा था ताकि वे इस बात का मूल्यांकन कर सकें कि थापर को प्रोफेसर एमेरिटस के तौर पर जारी रखना चाहिए या नहीं.     



(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)