जेएनयू में हुई हिंसा को लेकर शुक्रवार को दिल्ली पुलिस की ओर से प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई और कुछ तथ्य रखने की कोशिश की. लेकिन दिल्ली पुलिस अधूरी तैयारियों के साथ मीडिया के सामने पहुंची थी. पुलिस ने दोनों पक्षों के हमलावरों के फ़ोटो जारी किए. उसमें एक फ़ोटो पर पुलिस नाम किसी का ले रही थी और दिखा किसी और को रही थी. इसके अलावा पुलिस पर भेदभाव का भी आरोप लगा क्योंकि उसने वामदलों के आरोपी हमलावरों का नाम लिया लेकिन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) का नाम लेने से परहेज़ किया. एक वीडियो में 5 जनवरी को दोपहर 3:45 बजे नक़ाब पहने कुछ छात्र दिख रहे हैं जो शायद पेरियार हॉस्टल जा रहे थे. इनके साथ जेनयू छात्र संघ की अध्यक्षा आइशी घोष भी है. हालांकि वीडियो में सब ख़ाली हाथ हैं और बिना हथियार के. दूसरी तरफ़ नक़ाब पहने एक भीड़ हथियार लिए रात में आई और उसने साबरमती होस्टल पर हमला किया. ऐसा कहा जा रहा है कि ये हमला दिन में किए गए हमले के बदले में किया गया है. दूसरा हमला काफ़ी उग्र था. आइशी और एक प्रोफ़ेसर के सिर पर चोटें आई और कुल 36 लोग घायल हुए.
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चश्मदीदों का कहना है कि हमला ABVP द्वारा कराया गया है. कुछ समय बाद ABVP सदस्यों की कुछ तस्वीरें सामने आई जिसमें वे लाठियों के साथ कैंपस में देखे जा रहे हैं. इससे उनके इसमें शामिल होने की आशंका और मज़बूत होती है. लेकिन जब पुलिस ने पहली बार जेएनयू हिंसा में शामिल आरोपियों के बारे में बताया, उनका इशारा लेफ्ट की तरफ था. पुलिस ने कुल 9 लोगों का नाम लिया जिनमें से 7 लोग लेफ्ट से है. उनमें से एक आइशी घोष हैं जो कि जेएनयू छात्रसंघ की अध्यक्ष हैं. पुलिस ने योंगेंद्र भारद्वाज की भी एक तस्वीर जारी की है जो जेनयू में एबीवीपी के सदस्य हैं और कहा जा रहा है कि इन्होंने ही इस हमले की योजना बनाई थी. एक और छात्र की तस्वीर जारी की गई है और इसे विकास पटेल बताया गया है, जो कि गलत है. इस छात्र का नाम शिव पूजन है, जो कि एबीवीसी से जुड़ा है.
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जांच पर उठे सवालों और सोशल मीडिया में आलोचना झेलने के बाद पुलिस ने थोड़ी देर बाद विकास पटेल की सही तस्वीर जारी की. लेकिन इसके बाद पुलिस की थ्योरी पर कई सवालों के घेरे में है. अगर पुलिस तमाम लेफ़्ट छात्र संगठनों के नाम ले रही है तो ABVP का नाम क्यों नहीं ले रही और दूसरा कि पुलिस 5 तारीख़ को जो नक़ाबपोश जेएनयू में दाख़िल हुए उनके बारे पुलिस अब तक कोई जानकारी क्यों नहीं दे रही.
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