यह ख़बर 14 जनवरी, 2013 को प्रकाशित हुई थी

झारखंड में राष्ट्रपति शासन लगना लगभग तय

खास बातें

  • झारखंड के राज्यपाल डॉ सैयद अहमद ने राज्य की वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों के मद्देनजर यहां फिलहाल विधानसभा निलंबित रखते हुए राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की अनुशंसा कर दी है।
रांची:

झारखंड के राज्यपाल डॉ सैयद अहमद ने राज्य की वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों के मद्देनजर यहां फिलहाल विधानसभा निलंबित रखते हुए राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की अनुशंसा कर दी है और दिल्ली में केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस अनुशंसा पर मुहर लगते ही यहां राष्ट्रपति शासन लगना तय हो गया है।

राजभवन के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि राज्यपाल ने शनिवार को ही केन्द्रीय गृहमंत्रालय को इस आशय की रिपोर्ट भेज दी। इससे पूर्व राज्यपाल ने 8 जनवरी को मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा के इस्तीफे और उनकी सरकार के प्रमुख सहयोगी झारखंड मुक्ति मोर्चा के सरकार से समर्थन वापसी के पत्र के बाद 9 जनवरी को ही केन्द्र सरकार को राज्य की स्थिति के बारे में अपनी प्राथमिक रिपोर्ट भेज दी थी।

सूत्रों ने बताया कि राज्यपाल ने झारखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने की अनुशंसा की है और साथ में यहां की विधानसभा फिलहाल निलंबित रखने की सिफारिश की है।

उन्होंने बताया कि रिपोर्ट में इस बात को रेखांकित किया गया है कि फिलहाल झारखंड में कोई भी राजनीतिक समूह या पार्टी सरकार बनाने के लिए तैयार नहीं है और कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा तथा राष्ट्रीय जनता दल ने सरकार बनाने के लिए और समय की मांग की है।

ज्ञातव्य है कि शनिवार को ही इन तीनों दलों के प्रतिनिधियों ने राज्यपाल से मुलाकात कर फिलहाल राज्य विधानसभा को भंग करने की अनुशंसा न करने का उनसे अनुरोध किया था।

इससे पूर्व 8 जनवरी को सुबह झारखंड के मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने झारखंड मुक्ति मोर्चा की परवाह किए बगैर सुबह अपने आवास पर राज्य मंत्रिमंडल की बैठक बुलाकर विधानसभा भंग करने की सिफारिश कर दी थी और इसकी सूचना राज्यपाल को भी दे दी थी। इसके बाद तेजी से बदलते राजनीतिक घटनाक्रम में झारखंड मुक्ति मोर्चा ने अपने अध्यक्ष शिबू सोरेन के नेतृत्व में राजभवन पहुंच कर राज्य सरकार से समर्थन वापसी का औपचारिक पत्र राज्यपाल को सौंप दिया था। स्वयं मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने मंत्रिमंडल के इस फैसले की जानकारी मीडिया को देते हुए कहा था कि राज्य की स्थिति और झारखंड मुक्ति मोर्चा के रुख को देखते हुए उन्होंने यहां की जनता के हित में आज यह कदम उठाया जिससे यहां कोई राजनीतिक जोड़ तोड़ कर राज्य की जनता के साथ धोखा न किया जा सके।

उन्होंने बताया था कि मंत्रिमंडल की बैठक में झारखंड मुक्ति मोर्चा के पांच मंत्रियों को छोड़कर उनके समेत सभी सात मंत्री मौजूद थे। मंत्रिमंडल की बैठक में आज्सू के दोनों मंत्री और जदयू कोटे के मंत्री भी मौजूद थे।

इससे पूर्व झारखंड मुक्ति मोर्चा ने अजरुन मुंडा से नाराजगी जताते हुए उनकी सरकार से 7 जनवरी की शाम समर्थन वापसी की घोषणा कर दी थी जिससे अर्जुन मुंडा सरकार के अल्पमत में आ जाने का खतरा उत्पन्न हो गया था।

बयासी सदस्यीय झारखंड विधानसभा में भाजपा के 18, झारखंड विकास मोर्चा के 11, आज्सू के छह, जदयू के दो विधायकों और भाकपा माले (स्वतंत्र) के एक विधायक समेत कुल 38 विधायकों ने एक स्वर से विधानसभा भंग कर नए चुनाव कराये जाने की राज्यपाल से मांग की है लेकिन कांग्रेस, राजद, झामुमो और कुछ निर्दलीय विधायकों ने इसका विरोध किया है।

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आज भी निर्दलीय बंधू तिर्की और चमरा लिंडा ने राज्यपाल से मुलाकात की तथा उनसे नई सरकार के गठन के लिए और समय देने का अनुरोध किया।