
पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की फाइल फोटो
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा ने दिल्ली के तालकोटरा स्टेडियम में अपनी ताकत दिखाई। नाम दिया गरीब स्वाभिमान राष्ट्रीय सम्मेलन। सम्मेलन में मोर्चा के तकरीबन सारे 18 विधायक मौजूद दिखे। भीड़ ज्यादा नहीं जुटी फिर भी दो तीन हजार लोग तो जमा हो गए।
करीब एक घंटे के अपने भाषण में मांझी ने नीतीश और लालू को जी भर के कोसा। एक एक करके वो बातें गिनाई जिससे जनता को ये संदेश जाए कि लालू और नीतीश ने मिलकर एक दलित का अपमान किया।
नीतीश पर आरोपों की झड़ी लगाते हुए कहा कि उन्होंने गरीबों के स्वाभिमान के लिये सत्ता को लात मार दी। आज अगर वो एनडीए के साथ आए हैं तो गरीबों के लिये आए हैं और खुद की कोई महत्वकांक्षा अब नहीं बची है।
मांझी का दावा है कि बिहार के 22 फिसदी दलित आबादी पर उनका असर है। मांझी ने एनडीटीवी इंडिया से कहा कि राम विलास पासवान का उनकी पार्टी के पांच विधायकों को लेकर विरोध में कोई दम नहीं है। ये बात 2005 की है और पासवान जी पहले एनडीए के बारे में क्या कहते थे ये बात सबको पता है।
गौरतलब है कि पासवान की पार्टी एलजीपी ने कहा है कि अगर 2005 में उनकी पार्टी को तोड़ने वाले को मांझी एनडीए के टिकट पर बिहार चुनाव में लड़ायेंगे तो वो उसका विरोध करेंगे। मांझी ने कहा कि एनडीए की बैठक में टिकट उसी को दिया जायेगा जो चुनाव जीत सकता है।
दरअसल, मांझी और बीजेपी का साथ आना दोनों की जरूरत है क्योंकि दोनों ही ये जानते है कि बगैर साथ आये अकेले लालू और नीतिश को हराना आसान नहीं है।
करीब एक घंटे के अपने भाषण में मांझी ने नीतीश और लालू को जी भर के कोसा। एक एक करके वो बातें गिनाई जिससे जनता को ये संदेश जाए कि लालू और नीतीश ने मिलकर एक दलित का अपमान किया।
नीतीश पर आरोपों की झड़ी लगाते हुए कहा कि उन्होंने गरीबों के स्वाभिमान के लिये सत्ता को लात मार दी। आज अगर वो एनडीए के साथ आए हैं तो गरीबों के लिये आए हैं और खुद की कोई महत्वकांक्षा अब नहीं बची है।
मांझी का दावा है कि बिहार के 22 फिसदी दलित आबादी पर उनका असर है। मांझी ने एनडीटीवी इंडिया से कहा कि राम विलास पासवान का उनकी पार्टी के पांच विधायकों को लेकर विरोध में कोई दम नहीं है। ये बात 2005 की है और पासवान जी पहले एनडीए के बारे में क्या कहते थे ये बात सबको पता है।
गौरतलब है कि पासवान की पार्टी एलजीपी ने कहा है कि अगर 2005 में उनकी पार्टी को तोड़ने वाले को मांझी एनडीए के टिकट पर बिहार चुनाव में लड़ायेंगे तो वो उसका विरोध करेंगे। मांझी ने कहा कि एनडीए की बैठक में टिकट उसी को दिया जायेगा जो चुनाव जीत सकता है।
दरअसल, मांझी और बीजेपी का साथ आना दोनों की जरूरत है क्योंकि दोनों ही ये जानते है कि बगैर साथ आये अकेले लालू और नीतिश को हराना आसान नहीं है।
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